पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 14: Difference between revisions
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<p>सिय अत्थि णत्थि उहयं अव्वत्तव्वं पुणो य तत्तिदयं </p> | <p>सिय अत्थि णत्थि उहयं अव्वत्तव्वं पुणो य तत्तिदयं ।</p> | ||
<p>दव्वं खु सत्त्भंगं आदेसवसेण संभवदि | <p>दव्वं खु सत्त्भंगं आदेसवसेण संभवदि ॥14॥</p> | ||
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Revision as of 13:08, 19 August 2021
सिय अत्थि णत्थि उहयं अव्वत्तव्वं पुणो य तत्तिदयं ।
दव्वं खु सत्त्भंगं आदेसवसेण संभवदि ॥14॥