पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 159: Difference between revisions
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<p>णिच्छयणयेण भणिदो तिहि तेहिं समाहिदो हु जो अप्पा । (159)</p> | <p>णिच्छयणयेण भणिदो तिहि तेहिं समाहिदो हु जो अप्पा । (159)</p> | ||
<p>ण कुणदि किंचिवि अण्णं ण मुयदि मोक्खमग्गोत्ति ॥169॥</p> | <p>ण कुणदि किंचिवि अण्णं ण मुयदि मोक्खमग्गोत्ति ॥169॥</p> | ||
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Revision as of 11:38, 20 August 2021
णिच्छयणयेण भणिदो तिहि तेहिं समाहिदो हु जो अप्पा । (159)
ण कुणदि किंचिवि अण्णं ण मुयदि मोक्खमग्गोत्ति ॥169॥