पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 68: Difference between revisions
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<p>एवं कत्ता भोक्ता होज्जं अप्पा सगेहिं कम्मेहिं । (68)</p> | <p>एवं कत्ता भोक्ता होज्जं अप्पा सगेहिं कम्मेहिं । (68)</p> | ||
<p>हिंडदि पारमपारं संसारं मोहसंच्छण्णो ॥75॥</p> | <p>हिंडदि पारमपारं संसारं मोहसंच्छण्णो ॥75॥</p> | ||
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Latest revision as of 10:55, 21 August 2021
एवं कत्ता भोक्ता होज्जं अप्पा सगेहिं कम्मेहिं । (68)
हिंडदि पारमपारं संसारं मोहसंच्छण्णो ॥75॥