खरभाग: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<ol class="HindiText"> | |||
<li> अधोलोक के प्रारम्भ में स्थित पृथ्वी विविध प्रकार के रत्नों से युक्त है, इसलिए उसे चित्रा पृथिवी कहते हैं। चित्रा के तीन भाग हैं; उनमें से प्रथम भाग का नाम खरभाग है। विशेष– देखें - [[ रत्नप्रभा#2 | रत्नप्रभा / २ ]]</li> | |||
<li> अधोलोक में खर पंकादि पृथिवियों का अवस्थान– देखें - [[ भवन#4 | भवन / ४ ]]। </li> | |||
</ol> | |||
[[खरदूषण | Previous Page]] | |||
[[खर्वंट | Next Page]] | |||
[[Category:ख]] | |||
Revision as of 22:15, 24 December 2013
- अधोलोक के प्रारम्भ में स्थित पृथ्वी विविध प्रकार के रत्नों से युक्त है, इसलिए उसे चित्रा पृथिवी कहते हैं। चित्रा के तीन भाग हैं; उनमें से प्रथम भाग का नाम खरभाग है। विशेष– देखें - रत्नप्रभा / २
- अधोलोक में खर पंकादि पृथिवियों का अवस्थान– देखें - भवन / ४ ।