कल्पव्यवहार: Difference between revisions
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Revision as of 17:32, 15 February 2023
अंगबाह्यश्रुत के चौदह प्रकीर्णकों में नवम प्रकीर्णक । इसमें तपस्वियों के करणीय कार्यों की विधि का तथा अकरणीय कार्यों के हो जाने पर उनकी प्रायश्चित-विधि का वर्णन किया गया है । हरिवंशपुराण 10. 125, 135