कल्पातीत: Difference between revisions
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Revision as of 17:48, 14 August 2022
सिद्धांतकोष से
स्वर्ग विभाग–देखें स्वर्ग - 1.3।
पुराणकोष से
नव ग्रैवेयक, नव अनुदिश तथा पाँच अनुत्तर विमानवासी देव । ये अहमिंद्र होते हैं । संसार के सर्वाधिक सुखों को पाकर भी ये विरागी होते हैं । महापुराण 57.16, हरिवंशपुराण 3.150-151