कृतकृत्य छद्मस्थ: Difference between revisions
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<span class="HindiText"> (क्षीणमोह)–देखें [[ छद्मस्थ ]]। | <span class="GRef"> क्षपणासार/603 </span><span class="PrakritText"> चरिमे खंडे पडिदे कदकरणिज्जोत्ति भण्णदे ऐसो।</span> =<span class="HindiText">(क्षीणकषाय गुणस्थान में मोहरहित तीन घातिया प्रकृतियों का कांडक घात होता है। तहाँ अंत कांडक का घात होतैं याकौं '''कृतकृत्य छद्मस्थ''' कहिये। (क्योंकि तिनिका कांडकघात होने के पश्चात् भी कुछ द्रव्य शेष रहता है, जिसका कांडकघात संभव नहीं। इस शेष द्रव्य को समय-समय प्रति उदयावली को प्राप्त करके एक-एक निषेक के क्रम से अंतर्मुहूर्त काल द्वारा अभाव करता है। इस अंतर्मुहूर्त काल में '''कृतकृत्य छद्मस्थ''' कहलाता है। </span> | ||
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Revision as of 15:38, 24 March 2023
क्षपणासार/603 चरिमे खंडे पडिदे कदकरणिज्जोत्ति भण्णदे ऐसो। =(क्षीणकषाय गुणस्थान में मोहरहित तीन घातिया प्रकृतियों का कांडक घात होता है। तहाँ अंत कांडक का घात होतैं याकौं कृतकृत्य छद्मस्थ कहिये। (क्योंकि तिनिका कांडकघात होने के पश्चात् भी कुछ द्रव्य शेष रहता है, जिसका कांडकघात संभव नहीं। इस शेष द्रव्य को समय-समय प्रति उदयावली को प्राप्त करके एक-एक निषेक के क्रम से अंतर्मुहूर्त काल द्वारा अभाव करता है। इस अंतर्मुहूर्त काल में कृतकृत्य छद्मस्थ कहलाता है।
(क्षीणमोह)–देखें छद्मस्थ ।