क्षेत्रवान्: Difference between revisions
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<span class="HindiText"> षड्द्रव्यों में क्षेत्रवान् व अक्षेत्रवान् विभाग (देखें [[ द्रव्य#3 | द्रव्य - 3]]) | <span class="GRef"> वसुनंदी श्रावकाचार/31 </span><span class="PrakritText">आगासमेव खित्तं अवगाहणलक्खण जदो भणियं। सेसाणि पुणोऽखित्तं अवगाहणलक्खणाभावा। </span>=<span class="HindiText">एक आकाश द्रव्य ही '''क्षेत्रवान्''' है क्योंकि उसका अवगाहन लक्षण कहा गया है। शेष पाँच द्रव्य क्षेत्रवान् नहीं हैं, क्योंकि उनमें अवगाहन लक्षण नहीं पाया जाता (<span class="GRef"> पंचास्तिकाय / तात्पर्यवृत्ति/27/57/7 </span>) (<span class="GRef"> द्रव्यसंग्रह टीका/ अधिकार 2 की चूलिका/77/7</span>)। (विशेष देखें [[ आकाश#3 | आकाश - 3]])।<br /> | ||
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Revision as of 14:03, 15 April 2023
वसुनंदी श्रावकाचार/31 आगासमेव खित्तं अवगाहणलक्खण जदो भणियं। सेसाणि पुणोऽखित्तं अवगाहणलक्खणाभावा। =एक आकाश द्रव्य ही क्षेत्रवान् है क्योंकि उसका अवगाहन लक्षण कहा गया है। शेष पाँच द्रव्य क्षेत्रवान् नहीं हैं, क्योंकि उनमें अवगाहन लक्षण नहीं पाया जाता ( पंचास्तिकाय / तात्पर्यवृत्ति/27/57/7 ) ( द्रव्यसंग्रह टीका/ अधिकार 2 की चूलिका/77/7)। (विशेष देखें आकाश - 3)।
षड्द्रव्यों में क्षेत्रवान् व अक्षेत्रवान् विभाग (देखें द्रव्य - 3)