एकेंद्रिय: Difference between revisions
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Revision as of 15:33, 2 September 2022
वे संसारी जीव जिनके एक "स्पर्श" इंद्रिय मात्र हो जैसे पृथ्वीकायिक, जलकायिक, अग्निकायिक, वायुकायिक, वनस्पतिकायिक इन पाँचों में जब तक जीव रहता है तब तक वे सचित्त, फिर जीव निकल जाने पर ये अचित्त कहलाते हैं। एकेंद्रिय जीव छूकर के जानते हैं व इसी से काम करते हैं। इनके स्पर्शइंद्रिय, शरीरबल, आयु, श्वासोछ्वास ऐसे चार प्राण होते हैं।
- देखें बृहत् जैन शब्दार्णव/ द्वि. खंड।