तपन: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1"> (1) मेघा नामक तीसरी नरकभूमि के नौ इंद्रक बिलों में तीसरा इंद्रक बिल । इसकी चारों दिशाओं में बानवें और विदिशाओं मे अठासी श्रेणीबद्ध बिल है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 4.80-81, 120 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) मेघा नामक तीसरी नरकभूमि के नौ इंद्रक बिलों में तीसरा इंद्रक बिल । इसकी चारों दिशाओं में बानवें और विदिशाओं मे अठासी श्रेणीबद्ध बिल है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 4.80-81, 120 </span></p> | ||
<p id="2">(2) आदित्यवंशी राजा तेजस्वी का पुत्र । यह अतिवीर्य का पिता था । संसार से विरक्त होकर इसने निर्ग्रंथ-दीक्षा ले ली थी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 5. 4-10, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 13.9 </span></p> | <p id="2">(2) आदित्यवंशी राजा तेजस्वी का पुत्र । यह अतिवीर्य का पिता था । संसार से विरक्त होकर इसने निर्ग्रंथ-दीक्षा ले ली थी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_5#4|पद्मपुराण - 5.4]]-10, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 13.9 </span></p> | ||
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Revision as of 22:21, 17 November 2023
सिद्धांतकोष से
- तीसरे नरक का तीसरा पटल–देखें नरक - 5.11;
- विद्युत्प्रभ गजदंत का कूट तथा देव–देखें लोक - 5.4;
- रुचक पर्वत का कूट–देखें लोक - 5.13।
पुराणकोष से
(1) मेघा नामक तीसरी नरकभूमि के नौ इंद्रक बिलों में तीसरा इंद्रक बिल । इसकी चारों दिशाओं में बानवें और विदिशाओं मे अठासी श्रेणीबद्ध बिल है । हरिवंशपुराण 4.80-81, 120
(2) आदित्यवंशी राजा तेजस्वी का पुत्र । यह अतिवीर्य का पिता था । संसार से विरक्त होकर इसने निर्ग्रंथ-दीक्षा ले ली थी । पद्मपुराण - 5.4-10, हरिवंशपुराण 13.9