एषणा: Difference between revisions
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4. आहार संबंधी विषय - देखें [[ आहार ]]। <br> | 4. आहार संबंधी विषय - देखें [[ आहार ]]। <br> | ||
5. लोकेषणा-देखें [[ राग#4 | राग - 4]]।</p> | 5. लोकेषणा-देखें [[ राग#4 | राग - 4]]।</p><br> | ||
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<p>शुद्धि - देखें [[ शुद्धि ]]।</p> | <p>शुद्धि - देखें [[ शुद्धि ]]।</p> |
Revision as of 15:22, 14 August 2022
सिद्धांतकोष से
धवला पुस्तक 13/5,4,26/55/2 किमेसणं, असण-पाण खादिय-सादियं।
= प्रश्न-ऐषणा किसे कहते हैं? उत्तर-अशन, पान, खाद्य और सवाद्य इनका नाम एषणा है।
2. आहारका एक दोष-देखें आहार - II.4।
3. वस्तिकाका एकदोष-देखें वस्तिका '।
4. आहार संबंधी विषय - देखें आहार ।
5. लोकेषणा-देखें राग - 4।
समिति - देखें समिति - 1।
शुद्धि - देखें शुद्धि ।
पुराणकोष से
एक समिति । शरीर की स्थिरता के लिए पिंडशुद्धिपूर्वक मुनि का छियाछीस दोषों से रहित आहार ग्रहण करना । छियालीस दोषों में सोलह उद्गज दोष सोलह उत्पादन दोष, दस एषणा दोष और चार दानी दोष होते हैं । पद्मपुराण 14.108, हरिवंशपुराण 2.124, 9.187-188, पांडवपुराण 9.93