जरत्कुमार: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<ol class="HindiText"> | |||
<li> (ह.पु./सर्ग/श्लोक)–रानी जरा से वसुदेव का पुत्र था। (४८-६३) भगवान् नेमिनाथ के मुख से अपने को कृष्ण की मृत्यु का कारण जान जंगल में जाकर रहने लगा (६१-३०)। द्वारिका जलने पर जब कृष्ण वन में आये तो दूर से उन्हें हिरन समझकर बाण मारा, जिससे वह मर गये (६२-२७/६१)। पाण्डवों को जाकर सब समाचार बताया (६३/४९)। और उनके द्वारा राज्य प्राप्त किया (६३/७२)। इनसे यादव वंश की परम्परा चली। अन्त में दीक्षा धारण कर ली। (६६/३)। </li> | |||
<li> द्वारका दहन के पश्चात् कलिंग का राजा हुआ। इसकी सन्तति में ही राजा वसुध्वज हुए।– देखें - [[ इतिहास#7.10 | इतिहास / ७ / १० ]]। </li> | |||
</ol> | |||
[[जयावह | Previous Page]] | |||
[[जरा | Next Page]] | |||
[[Category:ज]] | |||
Revision as of 15:16, 25 December 2013
- (ह.पु./सर्ग/श्लोक)–रानी जरा से वसुदेव का पुत्र था। (४८-६३) भगवान् नेमिनाथ के मुख से अपने को कृष्ण की मृत्यु का कारण जान जंगल में जाकर रहने लगा (६१-३०)। द्वारिका जलने पर जब कृष्ण वन में आये तो दूर से उन्हें हिरन समझकर बाण मारा, जिससे वह मर गये (६२-२७/६१)। पाण्डवों को जाकर सब समाचार बताया (६३/४९)। और उनके द्वारा राज्य प्राप्त किया (६३/७२)। इनसे यादव वंश की परम्परा चली। अन्त में दीक्षा धारण कर ली। (६६/३)।
- द्वारका दहन के पश्चात् कलिंग का राजा हुआ। इसकी सन्तति में ही राजा वसुध्वज हुए।– देखें - इतिहास / ७ / १० ।