प्रस्तर: Difference between revisions
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<p><span class="GRef"> धवला 14/5,6,641/495/7 </span><span class="PrakritText">सग्गलोअसेडिबद्धपइण्णया विमाणपत्थडाणि णाम ।... तत्थ (णिरय) तण-पइण्णया णिरयपत्थडाणि णाम ।</span> = <span class="HindiText">स्वर्गलोक के श्रेणीबद्ध और प्रकीर्णक विमान प्रस्तर कहलाते हैं ... और वहाँ के (नरक के) प्रकीर्णक नरक प्रस्तर कहलाते हैं । विशेष देखें [[ नरक#5.3 | नरक - 5.3]]; स्वर्ग | <p><span class="GRef"> धवला 14/5,6,641/495/7 </span><span class="PrakritText">सग्गलोअसेडिबद्धपइण्णया विमाणपत्थडाणि णाम ।... तत्थ (णिरय) तण-पइण्णया णिरयपत्थडाणि णाम ।</span> = <span class="HindiText">स्वर्गलोक के श्रेणीबद्ध और प्रकीर्णक विमान प्रस्तर कहलाते हैं ... और वहाँ के (नरक के) प्रकीर्णक नरक प्रस्तर कहलाते हैं । विशेष देखें [[ नरक#5.3 | नरक - 5.3]]; [[स्वर्ग#5.1 | स्वर्ग - 5.1-3]] । </span></p> | ||
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Revision as of 10:58, 4 September 2022
सिद्धांतकोष से
धवला 14/5,6,641/495/7 सग्गलोअसेडिबद्धपइण्णया विमाणपत्थडाणि णाम ।... तत्थ (णिरय) तण-पइण्णया णिरयपत्थडाणि णाम । = स्वर्गलोक के श्रेणीबद्ध और प्रकीर्णक विमान प्रस्तर कहलाते हैं ... और वहाँ के (नरक के) प्रकीर्णक नरक प्रस्तर कहलाते हैं । विशेष देखें नरक - 5.3; स्वर्ग - 5.1-3 ।
पुराणकोष से
(1) हाथियों से जुते रथ पर आरूढ़ राम के पक्ष का योद्धा । पद्मपुराण 58.8
(2) किसी विद्याधर द्वारा कीलित विद्याधर का उपकार करने से प्रद्युम्न को प्रांत हुई एक विद्या । इस विद्या से शिला उत्पन्न करके उससे किसी को ढका या दबाया जा सकता है । महापुराण 72. 114-115, 135-136