जिनवर वृषभ: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p>प्र.सा./ता.वृ./२०१/२७१/१३ <span class="SanskritText">सासादनादिक्षीणकषायान्ता एकदेशजिना उच्यन्ते, शेषाश्चानगारकेवलिनो जिनवरा भण्यन्ते। तीर्थंकरपरमदेवाश्च जिनवरवृषभा:।।</span> =<span class="HindiText">सासादनादि क्षीणकषायपर्यन्त एकदेश जिन कहलाते हैं, शेष अनगारकेवली अर्थात् सामान्य केवली जिनवर तथा तीर्थंकर परमदेव जिनवर वृषभ कहलाते हैं।</span><br /> | |||
द्र.सं./टी./१/५//१० <span class="SanskritText">एकदेशजिना: असंयतसम्यग्दृष्टादयस्तेषां वरा: गणधरदेवास्तेषां जिनवराणां वृषभ: प्रधानो जिनवरवृषभस्तीर्थंकरपरमदेव:। </span>=<span class="HindiText">असंयत सम्यग्दृष्टि आदि एकदेश जिन हैं। उनमें जो वर श्रेष्ठ हैं वे जिनवर यानी गणधरदेव हैं। उन जिनवरों में भी जो प्रधान हैं, वे जिनवरवृषभ अर्थात् तीर्थंकर परमदेव हैं।</span></p> | |||
[[जिनरूपता क्रिया | Previous Page]] | |||
[[जिनसंहिता | Next Page]] | |||
[[Category:ज]] | |||
Revision as of 15:16, 25 December 2013
प्र.सा./ता.वृ./२०१/२७१/१३ सासादनादिक्षीणकषायान्ता एकदेशजिना उच्यन्ते, शेषाश्चानगारकेवलिनो जिनवरा भण्यन्ते। तीर्थंकरपरमदेवाश्च जिनवरवृषभा:।। =सासादनादि क्षीणकषायपर्यन्त एकदेश जिन कहलाते हैं, शेष अनगारकेवली अर्थात् सामान्य केवली जिनवर तथा तीर्थंकर परमदेव जिनवर वृषभ कहलाते हैं।
द्र.सं./टी./१/५//१० एकदेशजिना: असंयतसम्यग्दृष्टादयस्तेषां वरा: गणधरदेवास्तेषां जिनवराणां वृषभ: प्रधानो जिनवरवृषभस्तीर्थंकरपरमदेव:। =असंयत सम्यग्दृष्टि आदि एकदेश जिन हैं। उनमें जो वर श्रेष्ठ हैं वे जिनवर यानी गणधरदेव हैं। उन जिनवरों में भी जो प्रधान हैं, वे जिनवरवृषभ अर्थात् तीर्थंकर परमदेव हैं।