अर्द्ध नाराच: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> | <p> | ||
<big><p>देखें [[ संहनन#3 | संहनन - 3 ]]</p | <big> जिसके उदय से अस्थियों का बंधन विशेष होता है वह संहनन नामकर्म है, जो कि छह प्रकार का होता है। उनमें से यह चौथा प्रकार है। </big> </p> | ||
<p> अधिक जानकारी के लिए देखें [[ संहनन#3 | संहनन - 3 ]] </p> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 10: | Line 11: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: अ]] | [[Category: अ]] | ||
[[Category: करणानुयोग]] |
Revision as of 05:16, 29 October 2022
जिसके उदय से अस्थियों का बंधन विशेष होता है वह संहनन नामकर्म है, जो कि छह प्रकार का होता है। उनमें से यह चौथा प्रकार है।
अधिक जानकारी के लिए देखें संहनन - 3