ध्रुवसेन: Difference between revisions
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श्रुतावतार की पट्टावली के अनुसार महावीर भगवान् की मूल परंपरा में चौथे 11 अंगधारी थे। | <div class="HindiText">श्रुतावतार की पट्टावली के अनुसार महावीर भगवान् की मूल परंपरा में चौथे 11 अंगधारी थे। आपके अपरनाम ध्रुवसेन तथा द्रुमसेन भी थे। <br/> | ||
आपके अपरनाम ध्रुवसेन तथा द्रुमसेन भी थे। | |||
समय- वी.नि./423-436 (ई.पू.105-91) दृष्टि नं.3 के अनुसार वी.नि.442-454। -देखें [[ इतिहास#4.4 | इतिहास - 4.4]]। | समय- वी.नि./423-436 (ई.पू.105-91) दृष्टि नं.3 के अनुसार वी.नि.442-454। -देखें [[ इतिहास#4.4 | इतिहास - 4.4]]।</div> | ||
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Revision as of 18:01, 17 September 2022
सिद्धांतकोष से
श्रुतावतार की पट्टावली के अनुसार महावीर भगवान् की मूल परंपरा में चौथे 11 अंगधारी थे। आपके अपरनाम ध्रुवसेन तथा द्रुमसेन भी थे।
समय- वी.नि./423-436 (ई.पू.105-91) दृष्टि नं.3 के अनुसार वी.नि.442-454। -देखें इतिहास - 4.4।
समय- वी.नि./423-436 (ई.पू.105-91) दृष्टि नं.3 के अनुसार वी.नि.442-454। -देखें इतिहास - 4.4।
पुराणकोष से
(1) तीर्थंकर महावीर के निर्वाण के पश्चात् हुए ग्यारह अंगधारी पाँच मुनियों में चौथे मुनि, अपरनाम द्रुमसेन । महापुराण 2. 146, 76.525, हरिवंशपुराण 1.64
(2) सुप्रकारनगर के राजा शंबर और रानी श्रीमती का पुत्र । कृष्ण की पटरानी लक्ष्मणा इसकी बहिन थी । महापुराण 71.409-414