इंद्रपथ: Difference between revisions
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<p> <span class="GRef">पांडवपुराण सर्ग संख्या 16 श्लोक </span><span class="HindiText"> “प्रवास से लौटने पर युधिष्ठिर इंद्रपथ नगर बसाकर रहने लगे थे (4) क्योंकि यह कुरुक्षेत्र के पास है इसलिए वर्तमान देवली ही इंद्रपथ है। यह सर्व प्रसिद्ध भी है।" </span> </p> | <p> <span class="GRef">पांडवपुराण सर्ग संख्या 16 श्लोक </span><span class="HindiText"> “प्रवास से लौटने पर युधिष्ठिर इंद्रपथ नगर बसाकर रहने लगे थे (4) क्योंकि यह कुरुक्षेत्र के पास है इसलिए वर्तमान देवली ही इंद्रपथ है। यह सर्व प्रसिद्ध भी है।" </span> </p> | ||
Revision as of 19:53, 31 August 2022
सिद्धांतकोष से
पांडवपुराण सर्ग संख्या 16 श्लोक “प्रवास से लौटने पर युधिष्ठिर इंद्रपथ नगर बसाकर रहने लगे थे (4) क्योंकि यह कुरुक्षेत्र के पास है इसलिए वर्तमान देवली ही इंद्रपथ है। यह सर्व प्रसिद्ध भी है।"
पुराणकोष से
युधिष्ठिर द्वारा बसाया गया नगर । कौरव और पांडवों का राज्य-विभाजन होने के पश्चात् युधिष्ठिर ने इसे ही अपनी राजधानी बनाया था । पांडवपुराण 16. 2-4