क्षेमकीर्ति: Difference between revisions
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<span class="HindiText"> 1. काष्ठासंघ की गुर्वावली के अनुसार (देखें [[ इतिहास ]]) यह यश:कीर्ति के शिष्य थे। समय–वि. 1055 ई. 998 (प्रद्युम्नचरित्र/ | <span class="HindiText"> 1. काष्ठासंघ की गुर्वावली के अनुसार (देखें [[ इतिहास ]]) यह यश:कीर्ति के शिष्य थे। समय–वि. 1055 ई. 998 (<span class="GRef">प्रद्युम्नचरित्र/प्रस्तावना प्रेमीजी</span>); (<span class="GRef"> लाटी संहिता/1/64-70 </span>)। देखें [[ इतिहास#7.9 | इतिहास - 7.9]]। <br> | ||
2. यश:कीर्ति भट्टारक के शिष्य थे। इनके समय में ही पं. राजमल्लजी ने अपनी लाटी संहिता पूर्ण की थी। समय वि. 1641 ई.1584। (<span class="GRef"> समयसार/ | 2. यश:कीर्ति भट्टारक के शिष्य थे। इनके समय में ही पं. राजमल्लजी ने अपनी लाटी संहिता पूर्ण की थी। समय वि. 1641 ई.1584। (<span class="GRef"> समयसार/ कलश टीका/प्रस्तावना 5 ब्र.शीतल</span>)। | ||
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Revision as of 14:16, 15 April 2023
1. काष्ठासंघ की गुर्वावली के अनुसार (देखें इतिहास ) यह यश:कीर्ति के शिष्य थे। समय–वि. 1055 ई. 998 (प्रद्युम्नचरित्र/प्रस्तावना प्रेमीजी); ( लाटी संहिता/1/64-70 )। देखें इतिहास - 7.9।
2. यश:कीर्ति भट्टारक के शिष्य थे। इनके समय में ही पं. राजमल्लजी ने अपनी लाटी संहिता पूर्ण की थी। समय वि. 1641 ई.1584। ( समयसार/ कलश टीका/प्रस्तावना 5 ब्र.शीतल)।