तत्त्ववतीधारणा: Difference between revisions
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<p>ज्ञा./३७/२८/३८५ <span class="SanskritGatha">सप्तधातुविनिर्मुक्तं पूर्णचन्द्रामलत्विषम् । सर्वज्ञकल्पमात्मानं तत: स्मरति संयमी।२८।=</span><span class="HindiText">तत्पश्चात् (वारुणी धारणा के पश्चात्) संयमी मुनि सप्त धातुरहित, पूर्णचन्द्रमा के समान है निर्मल प्रभा जिसको ऐसे सर्वज्ञ समान अपने आत्मा का ध्यान करै।२८। विशेष–देखें - [[ पिंडस्थ ध्यान का लक्षण | पिंडस्थ ध्यान का लक्षण। ]]</span></p> | |||
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<li><span class="HindiText"><strong> प्राणायाम सम्बन्धी तत्त्व–देखें - [[ ध्येय | ध्येय ]]</strong>। | |||
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Revision as of 15:17, 25 December 2013
ज्ञा./३७/२८/३८५ सप्तधातुविनिर्मुक्तं पूर्णचन्द्रामलत्विषम् । सर्वज्ञकल्पमात्मानं तत: स्मरति संयमी।२८।=तत्पश्चात् (वारुणी धारणा के पश्चात्) संयमी मुनि सप्त धातुरहित, पूर्णचन्द्रमा के समान है निर्मल प्रभा जिसको ऐसे सर्वज्ञ समान अपने आत्मा का ध्यान करै।२८। विशेष–देखें - पिंडस्थ ध्यान का लक्षण।