असती पोष कर्म: Difference between revisions
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<p> प्राणियों को पीड़ा उत्पन्न करने वाले व्यापार को खरकर्म अर्थात् क्रूरकर्म कहते हैं। उसके पंद्रह प्रकारों में, यह आठवाँ प्रकार '''असतीपोष कर्म''' है। | |||
<span class="GRef"> सागार धर्मामृत/5/21-23 की टीका</span>-<span class="SanskritText"> असतीपोष: प्राणिघ्नप्राणिपोषोभाटिग्रहणार्थं दासपोषं च। </span> =<span class="HindiText"> हिंसक प्राणियों का पालन-पोषण करना और किसी प्रकार के भाड़े की उत्पत्ति के लिए दास और दासियों का पोषण करना '''असतीपोष कर्म''' कहलाता है। <br> | |||
<p>हिंसक प्राणियों का पालन-पोषण करना और किसी प्रकार के भाड़े की उत्पत्ति के लिए दास और दासियों का पोषण करना असतीपोष कहलाता है। | <p>हिंसक प्राणियों का पालन-पोषण करना और किसी प्रकार के भाड़े की उत्पत्ति के लिए दास और दासियों का पोषण करना असतीपोष कहलाता है। | ||
देखें [[ सावद्य#5 | सावद्य - 5]]।</p> | देखें [[ सावद्य#5 | सावद्य - 5]]।</p> |
Revision as of 18:31, 23 December 2022
प्राणियों को पीड़ा उत्पन्न करने वाले व्यापार को खरकर्म अर्थात् क्रूरकर्म कहते हैं। उसके पंद्रह प्रकारों में, यह आठवाँ प्रकार असतीपोष कर्म है।
सागार धर्मामृत/5/21-23 की टीका- असतीपोष: प्राणिघ्नप्राणिपोषोभाटिग्रहणार्थं दासपोषं च। = हिंसक प्राणियों का पालन-पोषण करना और किसी प्रकार के भाड़े की उत्पत्ति के लिए दास और दासियों का पोषण करना असतीपोष कर्म कहलाता है।
हिंसक प्राणियों का पालन-पोषण करना और किसी प्रकार के भाड़े की उत्पत्ति के लिए दास और दासियों का पोषण करना असतीपोष कहलाता है। देखें सावद्य - 5।