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([[महापुराण]] सर्ग/श्लोक) काशी देश का राजा (४३/१२७) स्वयंवर मार्ग का संचालक था तथा भरत चक्रवर्ती का गृहपति था (४५/५१-५४) भरत के पुत्र अर्ककीर्ति तथा सेनापति जयकुमार में सुलोचना नामक कन्या के निमित्त संघर्ष होने पर (४४/३४४-३४५) अपनी बुद्धिमत्ता से अक्षमाला नामक कन्या अर्ककीर्ति के लिए दे सहज निपटारा किया (४५/१०-३०) अन्त में दीक्षा धार अनुक्रम से मोक्ष प्राप्त किया। (४५/८७,२०४-२०६)<br>[[Category:अ]] | ([[महापुराण]] सर्ग/श्लोक) काशी देश का राजा (४३/१२७) स्वयंवर मार्ग का संचालक था तथा भरत चक्रवर्ती का गृहपति था (४५/५१-५४) भरत के पुत्र अर्ककीर्ति तथा सेनापति जयकुमार में सुलोचना नामक कन्या के निमित्त संघर्ष होने पर (४४/३४४-३४५) अपनी बुद्धिमत्ता से अक्षमाला नामक कन्या अर्ककीर्ति के लिए दे सहज निपटारा किया (४५/१०-३०) अन्त में दीक्षा धार अनुक्रम से मोक्ष प्राप्त किया। (४५/८७,२०४-२०६)<br>[[Category:अ]] [[Category:महापुराण]] |
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(महापुराण सर्ग/श्लोक) काशी देश का राजा (४३/१२७) स्वयंवर मार्ग का संचालक था तथा भरत चक्रवर्ती का गृहपति था (४५/५१-५४) भरत के पुत्र अर्ककीर्ति तथा सेनापति जयकुमार में सुलोचना नामक कन्या के निमित्त संघर्ष होने पर (४४/३४४-३४५) अपनी बुद्धिमत्ता से अक्षमाला नामक कन्या अर्ककीर्ति के लिए दे सहज निपटारा किया (४५/१०-३०) अन्त में दीक्षा धार अनुक्रम से मोक्ष प्राप्त किया। (४५/८७,२०४-२०६)