वज्रनंदि: Difference between revisions
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<li> नंदिसंघ के बलात्कारगण की गुर्वावली के अनुसार आप गुणनंदि के शिष्य तथा कुमारनंदि के गुरु थे। समय-विक्रम सं. 364-386 (ई. 442-464)।−(देखें [[ इतिहास#7.2 | इतिहास - 7.2]])। </li> | <li> नंदिसंघ के बलात्कारगण की गुर्वावली के अनुसार आप गुणनंदि के शिष्य तथा कुमारनंदि के गुरु थे। समय-विक्रम सं. 364-386 (ई. 442-464)।−(देखें [[ इतिहास#7.2 | इतिहास - 7.2]])। </li> | ||
<li> आ. पूज्यपाद के शिष्य थे। गुरु से बिगड़ कर द्रविड़संघ की स्थापना की। हरिवंशपुराण (ई. 783) में आपके वचन गणधर तुल्य कहे गए हैं। कृतियाँ-नवस्तोत्र, प्रमाण ग्रंथ। समय-वि. श. 6। (देखें [[ इतिहास#7.1 | इतिहास - 7.1]]); ( | <li> आ. पूज्यपाद के शिष्य थे। गुरु से बिगड़ कर द्रविड़संघ की स्थापना की। हरिवंशपुराण (ई. 783) में आपके वचन गणधर तुल्य कहे गए हैं। कृतियाँ-नवस्तोत्र, प्रमाण ग्रंथ। समय-वि. श. 6। (देखें [[ इतिहास#7.1 | इतिहास - 7.1]]); (<span class="GRef">तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा/2/450; 3/286</span>)। </li> | ||
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Revision as of 17:56, 13 October 2022
- नंदिसंघ के बलात्कारगण की गुर्वावली के अनुसार आप गुणनंदि के शिष्य तथा कुमारनंदि के गुरु थे। समय-विक्रम सं. 364-386 (ई. 442-464)।−(देखें इतिहास - 7.2)।
- आ. पूज्यपाद के शिष्य थे। गुरु से बिगड़ कर द्रविड़संघ की स्थापना की। हरिवंशपुराण (ई. 783) में आपके वचन गणधर तुल्य कहे गए हैं। कृतियाँ-नवस्तोत्र, प्रमाण ग्रंथ। समय-वि. श. 6। (देखें इतिहास - 7.1); (तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा/2/450; 3/286)।