अविभाग प्रतिच्छेद: Difference between revisions
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<p class="HindiText">शक्ति अंश को अविभाग प्रतिच्छेद कहते हैं। वह जड़ व चेतन सभी पदार्थों के गुणों में देखे जाते हैं। यथा- </p> | |||
<p>1. द्रव्य या गुणों संबंधी अविभागप्रतिच्छेद</p> | <p class="HindiText"><b>1. द्रव्य या गुणों संबंधी अविभागप्रतिच्छेद</b></p> | ||
< | <span class="GRef">धवला पुस्तक 12/4,2,7,199/92/10</span> <p class=" PrakritText ">सव्वमंदाणुभागपरमाणुं घेत्तूण वण्णगंधरसे मोत्तूण पासं चेव बुद्धीए घेतूण तस्स पण्णाच्छेदो कायव्वो जाव विभागवज्जिदपरिच्छेदो त्ति। तस्स अंतिमस्स खंडस्स अछेज्जस्स अविभागपडिच्छेद इदि सण्णा।</p> | ||
<p class="HindiText">= सर्व मंद अनुभाग से युक्त परमाणु को ग्रहण करके, वर्ण गंध रस को छोड़कर, केवल स्पर्श का (एक गुण का) ही बुद्धि से ग्रहण कर उसका विभाग रहित छेद होने तक प्रज्ञा के द्वारा छेद करना चाहिए। उस नहीं छेदने योग्य अंतिम खंड की अविभाग प्रतिच्छेद संज्ञा है।</p> | <p class="HindiText">= सर्व मंद अनुभाग से युक्त परमाणु को ग्रहण करके, वर्ण गंध रस को छोड़कर, केवल स्पर्श का (एक गुण का) ही बुद्धि से ग्रहण कर उसका विभाग रहित छेद होने तक प्रज्ञा के द्वारा छेद करना चाहिए। उस नहीं छेदने योग्य अंतिम खंड की अविभाग प्रतिच्छेद संज्ञा है।</p> | ||
<p>(राजवार्तिक अध्याय 2/5/4/107/6) (<span class="GRef"> गोम्मटसार जीवकांड/ | <p class="HindiText">(<span class="GRef">राजवार्तिक अध्याय 2/5/4/107/6</span>) (<span class="GRef"> गोम्मटसार जीवकांड/ भाषा.59/154/18</span>)</p> | ||
< | <span class="GRef">धवला पुस्तक 14/5/6/504/401/4</span><p class=" PrakritText "> एगपरमाणुम्हि आ जहण्णिया बड्ढी सो अविभागपडिच्छेदो णाम।</p> | ||
<p class="HindiText">= एक परमाणु में जो जघन्य वृद्धि होती है, उसे अविभाग प्रतिच्छेद कहते हैं।</p> | <p class="HindiText">= एक परमाणु में जो जघन्य वृद्धि होती है, उसे अविभाग प्रतिच्छेद कहते हैं।</p> | ||
<p>2. अनुभाग संबंधी अविभागप्रतिच्छेद</p> | <p class="HindiText"><b>2. अनुभाग संबंधी अविभागप्रतिच्छेद</b></p> | ||
< | <span class="GRef">धवला पुस्तक 12/4,2,7,199/92/3</span> <p class=" PrakritText ">तत्थ एक्कम्हि परमाणु म्हि जो जहण्णेण वट्ठिदो अणुभागो तस्स अविभागपरिच्छेदो त्ति सण्णा।</p> | ||
<p class="HindiText">= एक परमाणु में जो जघन्य रूप से अवस्थित अनुभाग है, उसकी अविभाग प्रतिच्छेद संज्ञा है।</p> | <p class="HindiText">= एक परमाणु में जो जघन्य रूप से अवस्थित अनुभाग है, उसकी अविभाग प्रतिच्छेद संज्ञा है।</p> | ||
<p>3. योग संबंधी अविभागप्रतिच्छेद</p> | <p class="HindiText"><b>3. योग संबंधी अविभागप्रतिच्छेद</b></p> | ||
< | <span class="GRef">धवला पुस्तक 10/4,2,4,178/440/5</span> <p class=" PrakritText ">जोगाविभागपडिच्छेदो णाम किं। एक्केम्हि जीवपदेसेजोगस्स जाजहण्णिया वड्ढी सो जागाविभागपडिच्छेदो।...एकजीवपदेसट्ठियजहण्णजोगे असंखेज्जलोगेहि खंडिदे तत्थ एगखंडमविभागपडिच्छेदो णाम।</p> | ||
<p class="HindiText">= <b>प्रश्न</b> - योगाविभाग प्रतिच्छेद किसे कहते हैं? <b>उत्तर</b> - एक जीव प्रदेश से योग की जो जघन्य वृद्धि है, उसे योगाविभाग प्रतिच्छेद कहते हैं। ...एक जीव प्रदेश में स्थिर जघन्य योग को असंख्यात लोकों से खंडित करने पर उनमें से एक खंड अविभाग प्रतिच्छेद कहलाता है।</p> | <p class="HindiText">= <b>प्रश्न</b> - योगाविभाग प्रतिच्छेद किसे कहते हैं? <b>उत्तर</b> - एक जीव प्रदेश से योग की जो जघन्य वृद्धि है, उसे योगाविभाग प्रतिच्छेद कहते हैं। ...एक जीव प्रदेश में स्थिर जघन्य योग को असंख्यात लोकों से खंडित करने पर उनमें से एक खंड अविभाग प्रतिच्छेद कहलाता है।</p> | ||
<p>• गुणों में अविभागप्रतिच्छेदों रूप अशंकल्पना - देखें [[ गुण#2 | गुण - 2]]।</p> | <p class="HindiText">• गुणों में अविभागप्रतिच्छेदों रूप अशंकल्पना - देखें [[ गुण#2 | गुण - 2]]।</p> | ||
Revision as of 13:51, 28 December 2022
शक्ति अंश को अविभाग प्रतिच्छेद कहते हैं। वह जड़ व चेतन सभी पदार्थों के गुणों में देखे जाते हैं। यथा-
1. द्रव्य या गुणों संबंधी अविभागप्रतिच्छेद
धवला पुस्तक 12/4,2,7,199/92/10
सव्वमंदाणुभागपरमाणुं घेत्तूण वण्णगंधरसे मोत्तूण पासं चेव बुद्धीए घेतूण तस्स पण्णाच्छेदो कायव्वो जाव विभागवज्जिदपरिच्छेदो त्ति। तस्स अंतिमस्स खंडस्स अछेज्जस्स अविभागपडिच्छेद इदि सण्णा।
= सर्व मंद अनुभाग से युक्त परमाणु को ग्रहण करके, वर्ण गंध रस को छोड़कर, केवल स्पर्श का (एक गुण का) ही बुद्धि से ग्रहण कर उसका विभाग रहित छेद होने तक प्रज्ञा के द्वारा छेद करना चाहिए। उस नहीं छेदने योग्य अंतिम खंड की अविभाग प्रतिच्छेद संज्ञा है।
(राजवार्तिक अध्याय 2/5/4/107/6) ( गोम्मटसार जीवकांड/ भाषा.59/154/18)
धवला पुस्तक 14/5/6/504/401/4
एगपरमाणुम्हि आ जहण्णिया बड्ढी सो अविभागपडिच्छेदो णाम।
= एक परमाणु में जो जघन्य वृद्धि होती है, उसे अविभाग प्रतिच्छेद कहते हैं।
2. अनुभाग संबंधी अविभागप्रतिच्छेद
धवला पुस्तक 12/4,2,7,199/92/3
तत्थ एक्कम्हि परमाणु म्हि जो जहण्णेण वट्ठिदो अणुभागो तस्स अविभागपरिच्छेदो त्ति सण्णा।
= एक परमाणु में जो जघन्य रूप से अवस्थित अनुभाग है, उसकी अविभाग प्रतिच्छेद संज्ञा है।
3. योग संबंधी अविभागप्रतिच्छेद
धवला पुस्तक 10/4,2,4,178/440/5
जोगाविभागपडिच्छेदो णाम किं। एक्केम्हि जीवपदेसेजोगस्स जाजहण्णिया वड्ढी सो जागाविभागपडिच्छेदो।...एकजीवपदेसट्ठियजहण्णजोगे असंखेज्जलोगेहि खंडिदे तत्थ एगखंडमविभागपडिच्छेदो णाम।
= प्रश्न - योगाविभाग प्रतिच्छेद किसे कहते हैं? उत्तर - एक जीव प्रदेश से योग की जो जघन्य वृद्धि है, उसे योगाविभाग प्रतिच्छेद कहते हैं। ...एक जीव प्रदेश में स्थिर जघन्य योग को असंख्यात लोकों से खंडित करने पर उनमें से एक खंड अविभाग प्रतिच्छेद कहलाता है।
• गुणों में अविभागप्रतिच्छेदों रूप अशंकल्पना - देखें गुण - 2।