अधिराज: Difference between revisions
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<p>- देखें [[ राजा#3 | राजा-3 ]]।</p> | <span class="GRef"> तिलोयपण्णत्ति/1/45 </span><span class="PrakritGatha"> पंचसयरायसामी अहिराजो होदि कित्तिभरिददिसो। रायाण जो सहस्सं पालइ सो होदि महाराजो।45। </span>= <span class="HindiText">जो पाँच सौ राजाओं का स्वामी हो वह '''अधिराज''' है। उसकी कीर्ति सारी दिशाओं में फैली रहती है। जो एक हजार राजाओं का पालन करता है वह महाराज है।45। (<span class="GRef"> धवला 1/1, 1/ गाथा 40/57</span>); (<span class="GRef"> त्रिलोकसार/684 </span>)। <br /> | ||
<p class="HindiText">-और देखें [[ राजा#3 | राजा-3 ]]।</p> | |||
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Revision as of 14:13, 11 December 2022
सिद्धांतकोष से
तिलोयपण्णत्ति/1/45 पंचसयरायसामी अहिराजो होदि कित्तिभरिददिसो। रायाण जो सहस्सं पालइ सो होदि महाराजो।45। = जो पाँच सौ राजाओं का स्वामी हो वह अधिराज है। उसकी कीर्ति सारी दिशाओं में फैली रहती है। जो एक हजार राजाओं का पालन करता है वह महाराज है।45। ( धवला 1/1, 1/ गाथा 40/57); ( त्रिलोकसार/684 )।
-और देखें राजा-3 ।
पुराणकोष से
अनेक राजाओं का स्वामी । महापुराण 16.262