महाकाली: Difference between revisions
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2.<span class="GRef"> हरिवंशपुराण/22/51-73 का भावार्थ</span></p> | |||
<p class="HindiText"> –भगवान् ऋषभदेव से नमि और विनमि द्वारा राज्य की याचना करने पर धरणेंद्र ने अनेक देवों के संग आकर उन दोनों को अपनी देवियों से कुछ विद्याएँ दिलाकर संतुष्ट किया। तहाँ अदिति देवी ने विद्याओं के आठ निकाय तथा गंधर्वसेनक नामक विद्याकोष दिया। उनमें से एक विद्या महाकाली – अधिक जानकारी के लिए -देखें [[ विद्या#4|विद्या-4 ]]। | |||
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Revision as of 22:00, 27 November 2022
सिद्धांतकोष से
1. भगवान् श्रेयांस की शासक यक्षिणी–देखें तीर्थंकर - 5.3।
2. हरिवंशपुराण/22/51-73 का भावार्थ
–भगवान् ऋषभदेव से नमि और विनमि द्वारा राज्य की याचना करने पर धरणेंद्र ने अनेक देवों के संग आकर उन दोनों को अपनी देवियों से कुछ विद्याएँ दिलाकर संतुष्ट किया। तहाँ अदिति देवी ने विद्याओं के आठ निकाय तथा गंधर्वसेनक नामक विद्याकोष दिया। उनमें से एक विद्या महाकाली – अधिक जानकारी के लिए -देखें विद्या-4 । पूर्व पृष्ठ अगला पृष्ठ
पुराणकोष से
धरणेंद्र द्वारा नमि और विनमि विद्याधरों को दी गयी एक विद्या । हरिवंशपुराण 22.66