रुक्मिणी: Difference between revisions
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Revision as of 21:57, 31 January 2023
सिद्धांतकोष से
−( हरिवंशपुराण/ सर्ग/श्लोक नं. भीष्म राजा की पुत्री थी। (42/35)। कृष्ण द्वारा हरकर विवाह ली गयी (42/34) जन्मते ही इसका प्रद्युम्न नाम का पुत्र हर लिया गया था। (43/42)। अंत में दीक्षा धारण कर ली। (61/40)।
पुराणकोष से
(1) रावण की रानी । पद्मपुराण 77.13
(2) कुंडिनपुर के राजा भीष्म और रानी श्रीमती की पुत्री । इसके पिता ने इसे शिशुपाल को देना चाहा था किंतु नारद के कहने पर कृष्ण शिशुपाल को मारकर तथा रुक्मी को नागपाश से बाँधकर इसे हर लाये थे । उन्होंने गिरिनार पर्वत पर इसे विवाहा और अपनी पटरानी बनाया था । प्रद्युम्न इसका पुत्र था । वैर वश धूमकेतु ज्योतिषी देव जन्मते ही प्रद्युम्न को उठा ले गया था । उसने उसे खदिरसार अटवी में तक्षशिला के नीचे दबाया था । पुत्र-वियोग से यह दु:खी हुई । नारद से ज्ञातकर कृष्ण ने इसे इसका पुत्र पुंडरीकिणी में बताया था तथा यह भी कहा था कि वह अपने पुत्र से सोलह वर्ष बाद मिल सकेगी । भविष्यवाणी के अनुसार नियत समय पर इसकी पुत्र से भेट हुई । कृष्ण के द्वारा अनुमति दिये जाने पर अंत में यह कृष्ण की सभी पटरानियों और पुत्र-वधुओं के साथ दीक्षित हो गयी थी । महापुराण 71.355-358, 72.47-53, 68-72, 149-153, पद्मपुराण 20.228, हरिवंशपुराण 42.33-34, 43.39-48, 89-96, 61. 37-40, पांडवपुराण 12.3-15