देवपाल: Difference between revisions
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<li class="HindiText"> भाविकालीन तेईसवें तीर्थंकर हैं। अपरनाम दिव्यपाद।– देखें - [[ तीर्थंकर#5 | तीर्थंकर / ५ ]]।</li> | |||
<li class="HindiText"> ह.पु./सर्ग/श्लोक पूर्व के तीसरे भव में भानुदत्त सेठ का पुत्र भानुषेण था (३४/९७)। फिर दूसरे भव में चित्रचूल विद्याधर का सेनकान्त नामक पुत्र हुआ (३४/१३२)। फिर गंगदेव राजा का पुत्र गंगदत्त हुआ (३४/१४२)। वर्तमान भव में वसुदेव का पुत्र था (३४/३)। सुदृष्टि नामक सेठ के घर इनका पालन हुआ (३४/४-५)। नेमिनाथ भगवान् के समवशरण में धर्मश्रवण कर, दीक्षा ले ली (तथा घोर तप किया); (५९/११५;६०/७), (अन्त में मोक्ष प्राप्त की (६५/१६)। </li> | |||
<li class="HindiText"> भोजवंशी राजा था। भोजवंश वंशावली के अनुसार (देखें - [[ इतिहास | इतिहास ]]) आप राजा वर्मा के पुत्र और जैतुगिद के पिता थे। मालवा (मागध) देश के राजा थे। धारी व उज्जैनी आपकी राजधानी थी। समय–ई.१२१८-१२२८ (देखें - [[ सा | सा ]]./प्र.३६-३७/प्रेमी जी)– देखें - [[ इतिहास#3.1 | इतिहास / ३ / १ ]]। </li> | |||
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Revision as of 16:15, 25 December 2013
- भाविकालीन तेईसवें तीर्थंकर हैं। अपरनाम दिव्यपाद।– देखें - तीर्थंकर / ५ ।
- ह.पु./सर्ग/श्लोक पूर्व के तीसरे भव में भानुदत्त सेठ का पुत्र भानुषेण था (३४/९७)। फिर दूसरे भव में चित्रचूल विद्याधर का सेनकान्त नामक पुत्र हुआ (३४/१३२)। फिर गंगदेव राजा का पुत्र गंगदत्त हुआ (३४/१४२)। वर्तमान भव में वसुदेव का पुत्र था (३४/३)। सुदृष्टि नामक सेठ के घर इनका पालन हुआ (३४/४-५)। नेमिनाथ भगवान् के समवशरण में धर्मश्रवण कर, दीक्षा ले ली (तथा घोर तप किया); (५९/११५;६०/७), (अन्त में मोक्ष प्राप्त की (६५/१६)।
- भोजवंशी राजा था। भोजवंश वंशावली के अनुसार (देखें - इतिहास ) आप राजा वर्मा के पुत्र और जैतुगिद के पिता थे। मालवा (मागध) देश के राजा थे। धारी व उज्जैनी आपकी राजधानी थी। समय–ई.१२१८-१२२८ (देखें - सा ./प्र.३६-३७/प्रेमी जी)– देखें - इतिहास / ३ / १ ।