सूत्र: Difference between revisions
From जैनकोष
Komaljain7 (talk | contribs) No edit summary |
Anita jain (talk | contribs) mNo edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
| | ||
== सिद्धांतकोष से == | == सिद्धांतकोष से == | ||
<span class="GRef">प्रवचनसार / तत्त्वप्रदीपिका / गाथा 34</span> <p class="SanskritText">श्रुतं हि, तावत्सूत्रं। तच्च भगवदर्हत्सर्वज्ञोपज्ञं स्यात्कारकेतनं पौद्गलिकं शब्दब्रह्म। </p> | |||
<p class="HindiText">= श्रुत ही सूत्र है, और वह सूत्र भगवान् अर्हंत सर्वज्ञ के द्वारा स्वयं जानकर उपदिष्ट, स्यात्कार चिह्न युक्त पौद्गलिक शब्द ब्रह्म है।</p> | |||
<span class="GRef">स्याद्वादमंजरी श्लोक 8/74/6</span> <p class="SanskritText">सूत्रं तु सूचनाकारि ग्रंथे तंतुव्यवस्थयोः।</p> | |||
<p class="HindiText">= सूत्र शब्द ग्रंथ, तंतु और व्यवस्था इन तीन अर्थों को सूचित करता है।</p> | |||
देखें [[ आगम#7.1 | आगम - 7.1 ]] formula. (<span class="GRef"> धवला 5/ </span>प्र./28) | देखें [[ आगम#7.1 | आगम - 7.1 ]] formula. (<span class="GRef"> धवला 5/ </span>प्र./28) | ||
Line 25: | Line 30: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: स]] | [[Category: स]] | ||
[[Category: द्रव्यानुयोग]] |
Revision as of 22:04, 10 July 2023
सिद्धांतकोष से
प्रवचनसार / तत्त्वप्रदीपिका / गाथा 34
श्रुतं हि, तावत्सूत्रं। तच्च भगवदर्हत्सर्वज्ञोपज्ञं स्यात्कारकेतनं पौद्गलिकं शब्दब्रह्म।
= श्रुत ही सूत्र है, और वह सूत्र भगवान् अर्हंत सर्वज्ञ के द्वारा स्वयं जानकर उपदिष्ट, स्यात्कार चिह्न युक्त पौद्गलिक शब्द ब्रह्म है।
स्याद्वादमंजरी श्लोक 8/74/6
सूत्रं तु सूचनाकारि ग्रंथे तंतुव्यवस्थयोः।
= सूत्र शब्द ग्रंथ, तंतु और व्यवस्था इन तीन अर्थों को सूचित करता है।
देखें आगम - 7.1 formula. ( धवला 5/ प्र./28)
पुराणकोष से
(1) दृष्टिवाद अंग के पाँच भेदों में दूसरा भेद । इसमें अठासी लाख पद है । इन पदों में श्रुति, स्मृति और पुराण के अर्थ का निरूपण किया गया है । महापुराण 6.148, हरिवंशपुराण 2.96, 10.61, 69-70
(2) मणिमध्यमा हार का अपर नाम । इसका एक नाम एकावली भी है । महापुराण 16. 50