सेज्जाधर: Difference between revisions
From जैनकोष
Komaljain7 (talk | contribs) mNo edit summary |
Jyoti Sethi (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 10: | Line 10: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: स]] | [[Category: स]] | ||
[[Category: | [[Category: चरणानुयोग]] |
Revision as of 22:32, 19 October 2022
1. भगवती आराधना / विजयोदया टीका/421/613/13 सेज्जाधरशब्देन त्रयो भण्यंते वसतिं य: करोति। कृतां वा वसतिं परेण भग्नां पतितैक देशां वा संस्करोति। यदि वा न करोति न संस्कारयति केवलं प्रयच्छत्यत्रास्वेति। = जो वसतिका को बनाता है वह, बनायी हुई वसतिका का संस्कार करने वाला अथवा गिरी हुई वसतिका को सुधारने वाला, किंवा उसका एक भाग गिर गया हो उसको सुधारने वाला वह एक, जो बनवाता नहीं है, और संस्कार भी नहीं करता है परंतु यहाँ आप निवास करो ऐसा कहता है वह, ऐसे तीनों को सेज्जाधर कहते हैं।
2. सेज्जाधर के हाथ का आहार ग्रहण करने का निषेध-देखें भिक्षा - 3.2।