श्रुतावतार: Difference between revisions
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<li>भगवान् महावीर के पश्चात् केवली व श्रुतकेवलियों की मूल परंपरा को ही श्रुतावतार नाम से कहा गया है। - देखें [[ इतिहास#4.1 | इतिहास - 4.1]]।</li> | <li>भगवान् महावीर के पश्चात् केवली व श्रुतकेवलियों की मूल परंपरा को ही श्रुतावतार नाम से कहा गया है। - देखें [[ इतिहास#4.1 | इतिहास - 4.1]]।</li> | ||
<li> | <li>आचार्य इंद्रनंदि (ई.श.10-11) द्वारा रचित प्राकृत गाथाबद्ध भगवान् महावीर के निर्वाण से 683 वर्ष पर्यंत की मूलसंघ की पट्टावली।</li> | ||
<li> | <li>आचार्य श्रीधर (ई.श.14) द्वारा रचित प्राकृत छंदबद्ध ग्रंथ।</li> | ||
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Latest revision as of 16:49, 3 March 2024
- भगवान् महावीर के पश्चात् केवली व श्रुतकेवलियों की मूल परंपरा को ही श्रुतावतार नाम से कहा गया है। - देखें इतिहास - 4.1।
- आचार्य इंद्रनंदि (ई.श.10-11) द्वारा रचित प्राकृत गाथाबद्ध भगवान् महावीर के निर्वाण से 683 वर्ष पर्यंत की मूलसंघ की पट्टावली।
- आचार्य श्रीधर (ई.श.14) द्वारा रचित प्राकृत छंदबद्ध ग्रंथ।