पवनवेग: Difference between revisions
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<p id="2">(2) एक विद्याधर । इसने पटरानी लक्ष्मणा की प्राप्ति में कृष्ण की सहायता की थी । <span class="GRef"> महापुराण 71.410-413 </span></p> | <p id="2">(2) एक विद्याधर । इसने पटरानी लक्ष्मणा की प्राप्ति में कृष्ण की सहायता की थी । <span class="GRef"> महापुराण 71.410-413 </span></p> | ||
<p id="3">(3) भरतक्षेत्र के विजया पर्वत पर स्थित शिबंकर नगर का विद्याधरों का स्वामी । इसकी रानी सुवेगा से मनोवेग उत्पन्न हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 75.163-165 </span></p> | <p id="3">(3) भरतक्षेत्र के विजया पर्वत पर स्थित शिबंकर नगर का विद्याधरों का स्वामी । इसकी रानी सुवेगा से मनोवेग उत्पन्न हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 75.163-165 </span></p> | ||
<p id="4">(4) पवनंजय का अपर नाम । <span class="GRef"> पद्मपुराण 102.167 </span>देखें [[ पवनंजय ]]</p> | <p id="4">(4) पवनंजय का अपर नाम । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_102#167|पद्मपुराण - 102.167]] </span>देखें [[ पवनंजय ]]</p> | ||
<p id="5">(5) विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी के मेघपुर नगर का राजा मनोहरी इसकी रानी थी । राजा सुमुख की रानी मनोरमा इसी नृप की पुत्री थी । <span class="GRef"> महापुराण 71. 369, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 15.25-27 </span></p> | <p id="5">(5) विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी के मेघपुर नगर का राजा मनोहरी इसकी रानी थी । राजा सुमुख की रानी मनोरमा इसी नृप की पुत्री थी । <span class="GRef"> महापुराण 71. 369, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 15.25-27 </span></p> | ||
<p id="6">(6) गुणमित्र का जीव एक कबूतर यह अगले भव में जीवंधर का छोटा भाई नंदाद्य हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 75.457,474 </span></p> | <p id="6">(6) गुणमित्र का जीव एक कबूतर यह अगले भव में जीवंधर का छोटा भाई नंदाद्य हुआ । <span class="GRef"> महापुराण 75.457,474 </span></p> |
Revision as of 22:21, 17 November 2023
(1) केवली मुनि । मुनि अजितसेन को भी इन्हीं के साथ केवलज्ञान हुआ था । वायुवेग की पुत्री शांतिमती इनके केवलज्ञान के समय मौजूद थी । महापुराण 63.114
(2) एक विद्याधर । इसने पटरानी लक्ष्मणा की प्राप्ति में कृष्ण की सहायता की थी । महापुराण 71.410-413
(3) भरतक्षेत्र के विजया पर्वत पर स्थित शिबंकर नगर का विद्याधरों का स्वामी । इसकी रानी सुवेगा से मनोवेग उत्पन्न हुआ था । महापुराण 75.163-165
(4) पवनंजय का अपर नाम । पद्मपुराण - 102.167 देखें पवनंजय
(5) विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी के मेघपुर नगर का राजा मनोहरी इसकी रानी थी । राजा सुमुख की रानी मनोरमा इसी नृप की पुत्री थी । महापुराण 71. 369, हरिवंशपुराण 15.25-27
(6) गुणमित्र का जीव एक कबूतर यह अगले भव में जीवंधर का छोटा भाई नंदाद्य हुआ । महापुराण 75.457,474