लब्धिसार: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> आ. नेमिचंद्र सिद्धांतचक्रवर्ती (ई.श. 11 का पूर्वार्ध) द्वारा रचित मोहनीय कर्म के उपशम विषयक, 391 गाथा प्रमाण प्राकृत गाथाबद्ध ग्रंथ है। इस ग्रंथ की नेमिचंद्र कृत संस्कृत संजीवनी टीका तथा पं. टोडरमल (ई. 1736) कृत भाषा टीका प्राप्त है। ( | <div class="HindiText"> आ. नेमिचंद्र सिद्धांतचक्रवर्ती (ई.श. 11 का पूर्वार्ध) द्वारा रचित मोहनीय कर्म के उपशम विषयक, 391 गाथा प्रमाण प्राकृत गाथाबद्ध ग्रंथ है। इस ग्रंथ की नेमिचंद्र कृत संस्कृत संजीवनी टीका तथा पं. टोडरमल (ई. 1736) कृत भाषा टीका प्राप्त है। ( जैन धर्म का इतिहास/1/381, 412) ; (तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा/2/423,432)। | ||
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Latest revision as of 22:29, 23 October 2022
आ. नेमिचंद्र सिद्धांतचक्रवर्ती (ई.श. 11 का पूर्वार्ध) द्वारा रचित मोहनीय कर्म के उपशम विषयक, 391 गाथा प्रमाण प्राकृत गाथाबद्ध ग्रंथ है। इस ग्रंथ की नेमिचंद्र कृत संस्कृत संजीवनी टीका तथा पं. टोडरमल (ई. 1736) कृत भाषा टीका प्राप्त है। ( जैन धर्म का इतिहास/1/381, 412) ; (तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा/2/423,432)।