अर्थनय: Difference between revisions
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<p कषायपाहुड़ १/१३-१४/१८४/२२२/३ <span class="SanskritText">वस्तुन: स्वरूपं स्वधर्मभेदेन भिन्दानो अर्थनय:, अभेदको वा। अभेदरूपेण सर्वं वस्तु इयर्ति एति गच्छति इत्यर्थनय:।</span>=<span class="HindiText">वस्तु के स्वरूप में वस्तुगत धर्मों के भेद से भेद करने वाला अथवा अभेद रूप से (उस अनन्त धर्मात्मक) वस्तु को ग्रहण करने वाला अर्थनय है। </span><br /> | <p> कषायपाहुड़ १/१३-१४/१८४/२२२/३ <span class="SanskritText">वस्तुन: स्वरूपं स्वधर्मभेदेन भिन्दानो अर्थनय:, अभेदको वा। अभेदरूपेण सर्वं वस्तु इयर्ति एति गच्छति इत्यर्थनय:।</span>=<span class="HindiText">वस्तु के स्वरूप में वस्तुगत धर्मों के भेद से भेद करने वाला अथवा अभेद रूप से (उस अनन्त धर्मात्मक) वस्तु को ग्रहण करने वाला अर्थनय है। </span><br /> | ||
class="HindiText"> अन्य परिभाषाओं और अधिक जानकारी के लिए देखें [[ नय#I.4 | नय - I.4]]।</p> | class="HindiText"> अन्य परिभाषाओं और अधिक जानकारी के लिए देखें [[ नय#I.4 | नय - I.4]]।</p> |
Revision as of 20:53, 28 October 2022
कषायपाहुड़ १/१३-१४/१८४/२२२/३ वस्तुन: स्वरूपं स्वधर्मभेदेन भिन्दानो अर्थनय:, अभेदको वा। अभेदरूपेण सर्वं वस्तु इयर्ति एति गच्छति इत्यर्थनय:।=वस्तु के स्वरूप में वस्तुगत धर्मों के भेद से भेद करने वाला अथवा अभेद रूप से (उस अनन्त धर्मात्मक) वस्तु को ग्रहण करने वाला अर्थनय है।
class="HindiText"> अन्य परिभाषाओं और अधिक जानकारी के लिए देखें नय - I.4।