अर्थ सम्यक्त्व: Difference between revisions
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<span class="SanskritText"><span class="GRef"> आत्मानुशासन/14 </span> संजातार्थात्कुतश्चित्प्रवचनवचनांयंतरेणार्थदृष्टि:। </span> =<span class="HindiText"> अंग बाह्य आगमों के पढ़ने के बिना भी उनमें प्रतिपादित किसी पदार्थ के निमित्त से जो अर्थश्रद्धान होता है वह '''अर्थसम्यग्दर्शन''' कहलाता है। (<span class="GRef"> दर्शनपाहुड़/ </span>टी./12/12/20)।</span></p> | <span class="SanskritText"><span class="GRef"> आत्मानुशासन/14 </span> संजातार्थात्कुतश्चित्प्रवचनवचनांयंतरेणार्थदृष्टि:। </span> =<span class="HindiText"> अंग बाह्य आगमों के पढ़ने के बिना भी उनमें प्रतिपादित किसी पदार्थ के निमित्त से जो अर्थश्रद्धान होता है वह '''अर्थसम्यग्दर्शन''' कहलाता है। (<span class="GRef"> दर्शनपाहुड़/ </span>टी./12/12/20)।</span></p> |
Revision as of 11:19, 29 October 2022
सम्यग्दर्शन के दस भेदों में से आठवाँ भेद अर्थ सम्यग्दर्शन है। आत्मानुशासन/14 संजातार्थात्कुतश्चित्प्रवचनवचनांयंतरेणार्थदृष्टि:। = अंग बाह्य आगमों के पढ़ने के बिना भी उनमें प्रतिपादित किसी पदार्थ के निमित्त से जो अर्थश्रद्धान होता है वह अर्थसम्यग्दर्शन कहलाता है। ( दर्शनपाहुड़/ टी./12/12/20)।
अधिक विस्तार के लिए देखें सम्यग्दर्शन - I.1.2।