अवधि दर्शन: Difference between revisions
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<span class="GRef"> पं.सं./1/140 <span class="PrakritGatha"> परमाणुआदियाइं अंतिमरखंध त्ति मुत्तदव्वाइं। तं ओहिदंसणं पुण जं पस्सइ ताइं पच्चक्खं।140। </span><span class="HindiText"> = सब लघु परमाणु से आदि लेकर सर्वमहान् अंतिम स्कंध तक जितने मूर्तद्रव्य हैं, उन्हें जो प्रत्यक्ष देखता है, उसे '''अवधिदर्शन''' कहते हैं।140। </span> (धवला 1/1,1,131/ गा.195-197/382), (धवला 7/5,5,56/ गा.20-21/100), (गोम्मटसार जीवकांड/484-486/889)।</p> | <p> <span class="GRef"> पं.सं./1/140 <span class="PrakritGatha"> परमाणुआदियाइं अंतिमरखंध त्ति मुत्तदव्वाइं। तं ओहिदंसणं पुण जं पस्सइ ताइं पच्चक्खं।140। </span><span class="HindiText"> = सब लघु परमाणु से आदि लेकर सर्वमहान् अंतिम स्कंध तक जितने मूर्तद्रव्य हैं, उन्हें जो प्रत्यक्ष देखता है, उसे '''अवधिदर्शन''' कहते हैं।140। </span> (धवला 1/1,1,131/ गा.195-197/382), (धवला 7/5,5,56/ गा.20-21/100), (गोम्मटसार जीवकांड/484-486/889)।</p> | ||
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Revision as of 11:55, 29 October 2022
पं.सं./1/140 परमाणुआदियाइं अंतिमरखंध त्ति मुत्तदव्वाइं। तं ओहिदंसणं पुण जं पस्सइ ताइं पच्चक्खं।140। = सब लघु परमाणु से आदि लेकर सर्वमहान् अंतिम स्कंध तक जितने मूर्तद्रव्य हैं, उन्हें जो प्रत्यक्ष देखता है, उसे अवधिदर्शन कहते हैं।140। (धवला 1/1,1,131/ गा.195-197/382), (धवला 7/5,5,56/ गा.20-21/100), (गोम्मटसार जीवकांड/484-486/889)।
अधिक जानकारी के लिए देखें दर्शन उपयोग - 1.1।