सर्वगतत्व: Difference between revisions
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Revision as of 19:17, 31 October 2022
राजवार्तिक/2/7/13/112/24 असर्वगतत्वमपि साधारणं परमाण्वादीनामविभुत्वात्, धर्मादीनां च परिमितासंख्यातप्रदेशत्वात् । कर्मोदयाद्यपेक्षाभावात्तदपि पारिणामिकम् । यदस्य कर्मोपात्तशरीरप्रमाणानुविधायित्वं तदसाधारणमपि सन्न पारिणामिकम्; कर्मनिमित्तत्वात् । =‘असर्वगतत्व’ यह साधारण धर्म है, क्योंकि, परमाणु आदि द्रव्य अव्यापी हैं और धर्म आदि द्रव्य परिमित असंख्यात प्रदेशी हैं। कर्मोदय आदि की अपेक्षा का अभाव होने से यह धर्म पारिणामिक भी कहा जा सकता है। जीव के कर्मों के निमित्त से जो शरीरप्रमाणपना पाया जाता है वह असाधारण धर्म होते हुए भी पारिणामिक नहीं है, क्योंकि, वह कर्मों के निमित्त से होता है।