शेषवत् अनुमान: Difference between revisions
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<span class="HindiText">= जिस व्यक्ति ने पहिले कभी सींग व सींग वाले के संबंध का ज्ञान कर लिया है, उस व्यक्ति को पीछे कभी भी सींग मात्र का दर्शन हो जाने पर सींग वाले का ज्ञान हो जाता है। अथवा उस पशु के एक अवयव को देखने पर भी शेष अनेक अवयवों सहित संपूर्ण पशु का ज्ञान हो जाता है, इसलिए वह शेषवत् अनुमान है।</span> | |||
<span class="GRef"> न्यायदर्शन सूत्र/भाषा/1-1/5/12/25 </span><span class="SanskritText"> शेषवदिति यत्र कार्येण कारणमनुमीयते। पूर्वोदकविपरीतमुदकं नद्याः पूर्णत्वं शीघ्रत्वं च दृष्ट्वा स्रोतसोऽनुमीयते भूता वृष्टिरिति। </span> | |||
<span class="HindiText">= कार्य से कारण का अनुमान करना शेषवत् अनुमान कहलाता है। जैसे नदी की बाढ़ को देखकर उससे पहिले हुई वर्षा का अनुमान होता है, क्योंकि नदी का चढ़ना वर्षा का कार्य है।</span> | |||
<span class="HindiText">अनुमान के विषय में और जानकारी के लिये देखें [[ अनुमान ]]।</span><br> | |||
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Latest revision as of 14:08, 8 November 2022
शेषवत् अनुमान का लक्षण
राजवार्तिक अध्याय 1/20,15/78/14येन पूर्वं विषाणविषाणिनोः संबंध उपलब्धः तस्य विषाणरूपदर्शनाद्विषाणिन्यनुमानं शेषवत्। = जिस व्यक्ति ने पहिले कभी सींग व सींग वाले के संबंध का ज्ञान कर लिया है, उस व्यक्ति को पीछे कभी भी सींग मात्र का दर्शन हो जाने पर सींग वाले का ज्ञान हो जाता है। अथवा उस पशु के एक अवयव को देखने पर भी शेष अनेक अवयवों सहित संपूर्ण पशु का ज्ञान हो जाता है, इसलिए वह शेषवत् अनुमान है। न्यायदर्शन सूत्र/भाषा/1-1/5/12/25 शेषवदिति यत्र कार्येण कारणमनुमीयते। पूर्वोदकविपरीतमुदकं नद्याः पूर्णत्वं शीघ्रत्वं च दृष्ट्वा स्रोतसोऽनुमीयते भूता वृष्टिरिति। = कार्य से कारण का अनुमान करना शेषवत् अनुमान कहलाता है। जैसे नदी की बाढ़ को देखकर उससे पहिले हुई वर्षा का अनुमान होता है, क्योंकि नदी का चढ़ना वर्षा का कार्य है।
अनुमान के विषय में और जानकारी के लिये देखें अनुमान ।