भद्रक: Difference between revisions
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यक्ष जाति के देव व्यंतर देवों का एक भेद हैं| | यक्ष जाति के देव व्यंतर देवों का एक भेद हैं| यक्ष के बारह भेद होते है जिसमें से भद्रक एक भेद हैं | | ||
अधिक जानकारी के लिए कृपया –देखें [[ यक्ष#2 |यक्ष-2 ]]। | |||
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Revision as of 12:47, 10 November 2022
सिद्धांतकोष से
यक्ष जाति के देव व्यंतर देवों का एक भेद हैं| यक्ष के बारह भेद होते है जिसमें से भद्रक एक भेद हैं |
अधिक जानकारी के लिए कृपया –देखें यक्ष-2 ।
पुराणकोष से
(1) सुषमा-सुषमा काल के कोमल परिणामी पुरुष । महापुराण 3. 43, 71
(2) श्रावस्ती का एक शुभ परिणामी भैंसा । इसे यह नाम श्रावस्ती नगरी के एक सेठ कामदत्त से मिला था । यहाँ के राजकुमार मृगध्वज के द्वारा पूर्वजन्म के वैरवश इसका एक पैर काट दिये जाने से यह अठारहवें दिन मर गया था । हरिवंशपुराण 28.14-28