स्वरूपास्तित्व: Difference between revisions
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<p class="SanskritText"> प्रवचनसार / तत्त्वप्रदीपिका / गाथा 95 अस्तित्वं हि वक्ष्यति द्विविधं-स्वरूपास्तित्वं सादृश्यास्तित्वं चेति। | |||
अस्तित्व दो प्रकार का कहेंगे - स्वरूपास्तित्व और सादृश्यास्तित्व। | अस्तित्व दो प्रकार का कहेंगे - स्वरूपास्तित्व और सादृश्यास्तित्व। | ||
<p class="SanskritText">प्रवचनसार / तत्त्वप्रदीपिका / गाथा 97 प्रतिद्रव्यं सीमानमासूत्रयता विशेषलक्षणभ्रतेन च स्वरूपास्तित्वेन लक्ष्यमाणानामपि। | <p class="SanskritText">प्रवचनसार / तत्त्वप्रदीपिका / गाथा 97 प्रतिद्रव्यं सीमानमासूत्रयता विशेषलक्षणभ्रतेन च स्वरूपास्तित्वेन लक्ष्यमाणानामपि। |
Revision as of 16:24, 11 November 2022
प्रवचनसार / तत्त्वप्रदीपिका / गाथा 95 अस्तित्वं हि वक्ष्यति द्विविधं-स्वरूपास्तित्वं सादृश्यास्तित्वं चेति। अस्तित्व दो प्रकार का कहेंगे - स्वरूपास्तित्व और सादृश्यास्तित्व।
प्रवचनसार / तत्त्वप्रदीपिका / गाथा 97 प्रतिद्रव्यं सीमानमासूत्रयता विशेषलक्षणभ्रतेन च स्वरूपास्तित्वेन लक्ष्यमाणानामपि। = प्रत्येक द्रव्य की सीमा को बाँधते हुए ऐसे विशेष लक्षणभूत स्वरूपास्तित्व से लक्षित होते हैं। देखें अस्तित्व । पूर्व पृष्ठ अगला पृष्ठ