ब्रह्मोत्तर: Difference between revisions
From जैनकोष
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<li> कल्पवासी देवों का अवस्थान - देखें [[ स्वर्ग_देव#5.6 | स्वर्ग_देव 5.6 ]]। </li> | <li> कल्पवासी देवों का अवस्थान - देखें [[ स्वर्ग_देव#5.6 | स्वर्ग_देव 5.6 ]]। </li> | ||
<li> ब्रह्म स्वर्ग का चौथा पटल व इंद्रक - देखें [[ स्वर्ग_देव#5.3 | स्वर्ग_देव | <li> ब्रह्म स्वर्ग का चौथा पटल व इंद्रक - देखें [[ स्वर्ग_देव#5.3 | स्वर्ग_देव 5.3]]; </li> | ||
<li> कल्पवासी स्वर्गों का छठा कल्प - देखें [[ /स्वर्ग_देव#5.7 | /स्वर्ग_देव 5.7 ]]। </li> | <li> कल्पवासी स्वर्गों का छठा कल्प - देखें [[ /स्वर्ग_देव#5.7 | /स्वर्ग_देव 5.7 ]]। </li> | ||
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Revision as of 18:38, 12 November 2022
सिद्धांतकोष से
16 स्वर्गों के कुल आठ कल्प युगल हैं, ब्रह्म-ब्रह्मोत्तर इनमें से एक कल्प युगल हैं|
अन्य लक्षणों व अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए सभी लिंक देखे -
- कल्पवासी देवों का एक भेद - देखें स्वर्ग_देव 3.1 ।
- कल्पवासी देवों का अवस्थान - देखें स्वर्ग_देव 5.6 ।
- ब्रह्म स्वर्ग का चौथा पटल व इंद्रक - देखें स्वर्ग_देव 5.3;
- कल्पवासी स्वर्गों का छठा कल्प - देखें /स्वर्ग_देव 5.7 ।
पुराणकोष से
(1) ब्रह्म स्वर्ग का चतुर्थ पटल एवं इंद्रक विमान । हरिवंशपुराण 6.49
(2) छठा कल्प (स्वर्ग) । इस कल्प में एक लाख चार हजार विमान है । चौरानवें श्रेणीबद्ध विमान है । पूर्वभव में दशरथ के पुत्र भरत इसी स्वर्ग में थे । पद्मपुराण 83.105, 128-129, 166-168, हरिवंशपुराण 6.36, 56, 70