परिव्राजक: Difference between revisions
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Revision as of 15:35, 14 November 2022
(1) काषायवस्त्रधारी साधु । ऐसा साधु संसार के कारण स्वरूप परिग्रह को त्याग कर मुक्तिमार्ग का पथिक हो जाता है । पद्मपुराण 3. 293, 109.86, हरिवंशपुराण 21. 134
(2) एक मत । इसे मरीचि ने चलाया था । पद्मपुराण 85.44