पर्वत: Difference between revisions
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Revision as of 16:34, 14 November 2022
सिद्धांतकोष से
- लोक में स्थित पर्वतों के नक्शे - दे.लोक 3/5/8,
- पद्मपुराण/11/ श्लोक क्षीरकदंबक गुरु का पुत्र था। ‘अजैर्यष्टव्यम्’ शब्द का राजा वसु के द्वारा विपरीत समर्थन कराने पर लोगों के द्वारा धिक्कारा गया। उससे दुखी होकर कुतर्क करने लगा (75)। अंत में मृत्यु के पश्चात् राक्षस बनकर इस पृथ्वी पर हिंसायज्ञ की उत्पत्ति की (103)/( महापुराण/63/259-455 )।
पुराणकोष से
स्वस्तिकावती नगर के निवासी ब्राह्मण क्षीरकदंबक अध्यापक का पुत्र । इसी नगर के राजा विश्वावसु और उसकी रानी श्रीमती का पुत्र राजकुमार वसु इसका सहपाठी था । इसकी जननी स्वस्तिमती थी । पद्मपुराण में राजा वसु को विनीता नगरी के राजा ययाति और उसकी रानी सुरकांता का पुत्र बताया गया है । नारद नामक छात्र भी इन्हीं के गुरु के पास इन दोनों के साथ पढ़ता था । नारद के साथ इसका ‘‘अंज’’ शब्द के अर्थ में विवाद हो गया था । यह अंज का अर्थ बकरा पशु बताता था जबकि नारद अंज का अर्थ― वह धान्य जो अंकुरीत्पत्ति में असमर्थ हो, करता था । अपने पक्ष में राजा से निर्णय प्राप्त कर लेने के कारण यह लोक में निंदित हुआ तथा कुतप के कारण मरकर राक्षस हुआ । राक्षस होकर पृथिवी पर इसने हिंसापूर्ण यज्ञों का प्रचार किया था । महापुराण 67.256-455, पद्मपुराण 11. 13-15, 42-105 हरिवंशपुराण 17.38, 64, 157-160