शंकित विपक्ष वृत्ति हेत्वाभास: Difference between revisions
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देखें [[ व्यभिचार ]]। | पं.मु./6/33-34 <span class="SanskritText">शंकितवृत्तिस्तु नास्ति सर्वज्ञो वक्तृत्वात् ।33। सर्वज्ञत्वेन वक्तृत्वाविरोधात् ।34। </span>= <span class="HindiText">जो हेतु विपक्ष में संशयरूप से रहे, उसे शंकितवृत्ति अनैकांतिक कहते हैं । जैसे–सर्वज्ञ नहीं है, क्योंकि वक्ता है । <br /> | ||
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Revision as of 11:48, 23 November 2022
पं.मु./6/33-34 शंकितवृत्तिस्तु नास्ति सर्वज्ञो वक्तृत्वात् ।33। सर्वज्ञत्वेन वक्तृत्वाविरोधात् ।34। = जो हेतु विपक्ष में संशयरूप से रहे, उसे शंकितवृत्ति अनैकांतिक कहते हैं । जैसे–सर्वज्ञ नहीं है, क्योंकि वक्ता है ।
अधिक जानकारी के लिए देखें व्यभिचार ।