शक वंश: Difference between revisions
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Revision as of 16:03, 28 November 2022
मगध देश की राज्य वंशावली के अनुसार यह एक छोटी-सी जाति थी। इस जाति का कोई भी एकछत्र राज्य नहीं था। इस वंश में छोटे-छोटे सरदार होते थे जो धीरे-धीरे करके भारतवर्ष के किन्हीं-किन्हीं भागों पर अपना अधिकार जमा बैठे थे, जिसके कारण मौर्यवंशी विक्रमादित्य का राज्य छिन्न-भिन्न हो गया था। भृत्यवंशी गौतमी पुत्र साल्कणी (शालिवाहन) ने वी.नि.605 में शक संवत् प्रचलित किया था। जो पीछे से शक संवत् कहलाने लगा। इसके सरदारों का नाम इतिहास में नहीं मिलता है। हाँ, आगमकारों ने उनका उल्लेख किया है जो निम्न प्रकार है―
- पुष्यमित्र वी.नि.255-285 ई.पू. 271-246
- वसुमित्र वी.नि.2855-315 ई.पू. 246-211
- अग्निमित्र वी.नि.315-345 ई.पू. 211-181
- गर्दभिल्ल वी.नि.345-445 ई.पू. 181-81
- नरवाहन वी.नि.445-485 ई.पू. 81-41
(विशेष-देखें इतिहास मगध के राज्य वंश) नरवाहन की वी.नि.605 में शालिवाहन द्वारा हारने की संगति के लिए भी-देखें इतिहास )।