कर्म चूर व्रत: Difference between revisions
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<li class="HindiText"> प्रथम आठ अष्टमियों के आठ उपवास; </li> | |||
<li class="HindiText"> दूसरी आठ अष्टमियों के आठ कांजिक आहार; (भात व जल); </li> | |||
<li class="HindiText"> तीसरी आठ अष्टमियों को केवल तंदुलाहार; </li> | |||
<li class="HindiText"> चौथी आठ अष्टमियों को एक ग्रासाहार; </li> | |||
<li class="HindiText"> पाँचवी आठ अष्टमियों को एक कुरछी मात्र आहार; </li> | |||
<li class="HindiText"> छठी आठ अष्टमियों को एक रस व एक अन्न का आहार; </li> | |||
<li class="HindiText"> सातवीं आठ अष्टमियों को एकलठाने; </li> | |||
<li class="HindiText"> आठवीं आठ अष्टमियों को रूक्ष अन्न का आहार। ‘‘ॐ ह्रीं णमो सिद्धाणं सिद्धपरमेष्ठिने नम:’’ इस मन्त्र का त्रिकाल जाप्य। (व्रत-विधान संग्रह/पृ.४८), (वर्धमान पुराण)।<br /> | |||
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<li class="HindiText">नं.१ वाले स्थान में उपवास, </li> | |||
<li class="HindiText">नं.२ वाले में एकलठाना, </li> | |||
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<li class="HindiText">नं.४ वाले में नीरस भोजन; </li> | |||
<li class="HindiText">नं.५ वाले में एक ही प्रकार के फलों का आहार; </li> | |||
<li class="HindiText">नं.६ वाले में केवल चावल; </li> | |||
<li class="HindiText">नं.७ वाले में लाडू; </li> | |||
<li class="HindiText">नं.८ वाले में कांजी आहार (भात व जल) (व्रत-विधान संग्रह/पृ.९५) (किशनसिंह क्रिया कोश)। </li> | |||
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Revision as of 21:16, 24 December 2013
कुल समय=२वर्ष ८ मास अर्थात् ३२ मास की ६४ अष्टमियों के ६४ दिन,
- विधि नं. १
- प्रथम आठ अष्टमियों के आठ उपवास;
- दूसरी आठ अष्टमियों के आठ कांजिक आहार; (भात व जल);
- तीसरी आठ अष्टमियों को केवल तंदुलाहार;
- चौथी आठ अष्टमियों को एक ग्रासाहार;
- पाँचवी आठ अष्टमियों को एक कुरछी मात्र आहार;
- छठी आठ अष्टमियों को एक रस व एक अन्न का आहार;
- सातवीं आठ अष्टमियों को एकलठाने;
- आठवीं आठ अष्टमियों को रूक्ष अन्न का आहार। ‘‘ॐ ह्रीं णमो सिद्धाणं सिद्धपरमेष्ठिने नम:’’ इस मन्त्र का त्रिकाल जाप्य। (व्रत-विधान संग्रह/पृ.४८), (वर्धमान पुराण)।
- नं २.-उपरोक्त क्रम में ही--
- नं.१ वाले स्थान में उपवास,
- नं.२ वाले में एकलठाना,
- नं.३ वाले में एक ग्रास;
- नं.४ वाले में नीरस भोजन;
- नं.५ वाले में एक ही प्रकार के फलों का आहार;
- नं.६ वाले में केवल चावल;
- नं.७ वाले में लाडू;
- नं.८ वाले में कांजी आहार (भात व जल) (व्रत-विधान संग्रह/पृ.९५) (किशनसिंह क्रिया कोश)।