स्थितिकांडक घात: Difference between revisions
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<span class="GRef">लब्धिसार / मूल या टीका गाथा 60/92</span> <p class="HindiText">केवल भाषार्थ "जहाँ स्थिति कांडकघात होइ सो व्याघात कहिए। तहाँ कहिए है-कोई जीव उत्कृष्ट स्थिति बांधि पीछे क्षयोपशमलब्धिकरि विशुद्ध भया तब बंधी थी जो स्थित तीहीं विषै आबाधरूप बंधावलीकौ व्यतीत भये पीछे एक अंतर्मुहूर्त कालकरि स्थितिकांडक का घात किया। तहाँ जो उत्कृष्ट स्थिति बांधी थी, तिस विषैं अंतःकोटाकोटी सागर प्रमाण स्थिति अवशेष राखि अन्य सर्व स्थिति का घात तिस कांडककरि हो है। | <span class="GRef">लब्धिसार / मूल या टीका गाथा 60/92</span> <p class="HindiText">केवल भाषार्थ "जहाँ स्थिति कांडकघात होइ सो व्याघात कहिए। तहाँ कहिए है-कोई जीव उत्कृष्ट स्थिति बांधि पीछे क्षयोपशमलब्धिकरि विशुद्ध भया तब बंधी थी जो स्थित तीहीं विषै आबाधरूप बंधावलीकौ व्यतीत भये पीछे एक अंतर्मुहूर्त कालकरि स्थितिकांडक का घात किया। तहाँ जो उत्कृष्ट स्थिति बांधी थी, तिस विषैं अंतःकोटाकोटी सागर प्रमाण स्थिति अवशेष राखि अन्य सर्व स्थिति का घात तिस कांडककरि हो है। <p class="HindiText"> | ||
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Revision as of 22:02, 2 December 2022
लब्धिसार / मूल या टीका गाथा 60/92
केवल भाषार्थ "जहाँ स्थिति कांडकघात होइ सो व्याघात कहिए। तहाँ कहिए है-कोई जीव उत्कृष्ट स्थिति बांधि पीछे क्षयोपशमलब्धिकरि विशुद्ध भया तब बंधी थी जो स्थित तीहीं विषै आबाधरूप बंधावलीकौ व्यतीत भये पीछे एक अंतर्मुहूर्त कालकरि स्थितिकांडक का घात किया। तहाँ जो उत्कृष्ट स्थिति बांधी थी, तिस विषैं अंतःकोटाकोटी सागर प्रमाण स्थिति अवशेष राखि अन्य सर्व स्थिति का घात तिस कांडककरि हो है।
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