नोकर्म: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
| | ||
== सिद्धांतकोष से == | == सिद्धांतकोष से == | ||
<div class="HindiText"> कर्म के | <div class="HindiText"> कर्म के उदय से होने वाला औदारिक शरीर आदि रूप पुद्गल परिणाम जो आत्मा के सुख-दुःख में सहायक होता है वो नोकर्म कहलाता है। अधिक जानकारी के लिए देखें [[ कर्म#2.2 | कर्म - 2.2]]। | ||
</div> | </div> | ||
Line 14: | Line 14: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<div class="HindiText"> <p> कर्म के उदय से होने वाला | <div class="HindiText"> <p> कर्म के उदय से होने वाला शरीर रूप पुद्गल परिणाम । यह परिणाम तीन प्रकार का होता है― औदारिक, वैक्रियिक और आहारक । <span class="GRef"> महापुराण 42. 91 </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Revision as of 10:34, 7 December 2022
सिद्धांतकोष से
कर्म के उदय से होने वाला औदारिक शरीर आदि रूप पुद्गल परिणाम जो आत्मा के सुख-दुःख में सहायक होता है वो नोकर्म कहलाता है। अधिक जानकारी के लिए देखें कर्म - 2.2।
पुराणकोष से
कर्म के उदय से होने वाला शरीर रूप पुद्गल परिणाम । यह परिणाम तीन प्रकार का होता है― औदारिक, वैक्रियिक और आहारक । महापुराण 42. 91