अंडज जन्म: Difference between revisions
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<span class="GRef"> तत्त्वार्थसूत्र/2/33 | <span class="GRef"> तत्त्वार्थसूत्र/2/33 </span><p class="SanskritText">जरायुजांडजपोतानां गर्भ:।33। <br> | ||
=जरायुज, '''अंडज''' व पोत जीवों का गर्भजन्म होता है। | <p class="HindiText">=जरायुज, '''अंडज''' व पोत जीवों का गर्भजन्म होता है।</p> | ||
<p class="HindiText">जीवों का जन्म तीन प्रकार माना गया है, गर्भज, संमूर्च्छन व उपपादज। तहाँ गर्भज भी तीन प्रकार का है जरायुज, '''अंडज''', पोतज। तहाँ मनुष्य तिर्यंचों का जन्म गर्भज व संमूर्च्छन दो प्रकार से होता है और देव नारकियों का केवल उपपादज। माता के गर्भ से उत्पन्न होना गर्भज है, और जेर सहित या अंडे में उत्पन्न होते हैं वे जरायुज व अंडज है, तथा जो उत्पन्न होते ही दौड़ने लगते हैं वे पोतज हैं।</p> | |||
<p class="HindiText">जीवों का जन्म तीन प्रकार माना गया है, गर्भज, संमूर्च्छन व उपपादज। तहाँ गर्भज भी तीन प्रकार का है जरायुज, '''अंडज''', पोतज। तहाँ मनुष्य तिर्यंचों का जन्म गर्भज व संमूर्च्छन दो प्रकार से होता है और देव नारकियों का केवल उपपादज। माता के गर्भ से उत्पन्न होना गर्भज है, और जेर सहित या अंडे में उत्पन्न होते हैं वे जरायुज व अंडज है, तथा जो उत्पन्न होते ही दौड़ने लगते हैं वे पोतज हैं। < | |||
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Latest revision as of 15:03, 7 December 2022
तत्त्वार्थसूत्र/2/33
जरायुजांडजपोतानां गर्भ:।33।
=जरायुज, अंडज व पोत जीवों का गर्भजन्म होता है।
जीवों का जन्म तीन प्रकार माना गया है, गर्भज, संमूर्च्छन व उपपादज। तहाँ गर्भज भी तीन प्रकार का है जरायुज, अंडज, पोतज। तहाँ मनुष्य तिर्यंचों का जन्म गर्भज व संमूर्च्छन दो प्रकार से होता है और देव नारकियों का केवल उपपादज। माता के गर्भ से उत्पन्न होना गर्भज है, और जेर सहित या अंडे में उत्पन्न होते हैं वे जरायुज व अंडज है, तथा जो उत्पन्न होते ही दौड़ने लगते हैं वे पोतज हैं।