अक्षरविद्या: Difference between revisions
From जैनकोष
Anita jain (talk | contribs) mNo edit summary |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<div class="HindiText"> <p> ऋषभदेव द्वारा अपनी पुत्री ब्राह्मी को सिखायी गयी विद्या लिपिज्ञान । स्वर और व्यंजन के भेद से इसके दो भेद होते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 16.105-116 </span | <div class="HindiText"> <p> ऋषभदेव द्वारा अपनी पुत्री ब्राह्मी को सिखायी गयी विद्या लिपिज्ञान । स्वर और व्यंजन के भेद से इसके दो भेद होते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 16.105-116 </span> हरिवंशपुराण में इसे कला कहा है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण </span>9.24</p> | ||
Revision as of 13:09, 8 December 2022
ऋषभदेव द्वारा अपनी पुत्री ब्राह्मी को सिखायी गयी विद्या लिपिज्ञान । स्वर और व्यंजन के भेद से इसके दो भेद होते हैं । महापुराण 16.105-116 हरिवंशपुराण में इसे कला कहा है । हरिवंशपुराण 9.24