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| | <p class="HindiText">= अयोगि विषैं सत्त्वरूप वही पिच्यासी प्रकृति (पाँच शरीर (5), पाँच बंधन (5), पाँच संघात (5), छः संस्थान (6), तीन अंगोपांग (3), छः संहनन (6), पाँच वर्ण (5),दोय गंध (2), पाँच रस (5), आठ स्पर्श (8), स्थिर-अस्थिर (2), शुभ-अशुभ (2), सुस्वर-दुःस्वर (2), देवगति व आनुपूर्वी (2), प्रशस्त व अप्रशस्त विहायोगति (2) दुर्भग (1), निर्माण (1), अयशःकीर्ति (1), अनादेय (1), प्रत्येक (1), अपर्याप्त (1), अगुरुलघु (1), उपघात(1), परघात (1), उच्छ्वास (1), अनुदयरूप अन्यतम वेदनीय (1), नीच गोत्र (1)-ये 72 प्रकृति की तौ अयोगि के द्वि-चरम समय सत्त्व से व्युच्छित्ति होती है बहुरि जिनका उदय अयोगि विषैं पाइये ऐसे उदयरूप अन्यतम वेदनीय (1), मनुष्यगति (1), पंचेंद्रिय (1), सुभग (1), त्रस (1), बादर (1), पर्याप्त (1), आदेय (1),यशःकीर्ति (1), तीर्थंकरत्व (1), मनुष्यायु व आनुपूर्वी (2), उच्च गोत्र (1)-इन तेरह प्रकृतियों की अयोगि के अंत समय सत्त्व से व्युच्छित्ति होती है। सर्व मिलि 85 भई।) </p> |
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| ! कांडक संख्या!! <span class="GRef"> धवला/13 </span>पृष्ठ !! द्रव्य !! क्षेत्र!! काल !! भाव
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| | 1|| 304|| प्रथम कांडक में विस्रसोपचय सहित निज औदारिक शरीर\घनलोक प्रमाण असंख्यात् द्रव्य है। तत्पश्चात् द्वितीयादि में सर्वत्र पूर्व पूर्व द्रव्य + (पूर्व द्रव्य+मनोवर्गणा/अनंत)|| घनांगुल\अनंत || आवली\ असंख्यात्|| प्रथम कांडक में स्व विषय गत द्रव्य की आव/असंख्यात् मात्र वर्तमान पर्यायें। तत्पश्चात् द्वितीयादि में सर्वत्र पूर्व पूर्व x असंख्यात्
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| | 2|| 305 || प्रथम कांडक में विस्रसोपचय सहित निज औदारिक शरीर\घनलोक प्रमाण असंख्यात् द्रव्य है। तत्पश्चात् द्वितीयादि में सर्वत्र पूर्व पूर्व द्रव्य + (पूर्व द्रव्य+मनोवर्गणा/अनंत) || घनांगुल\संख्यात् ||आवली\संख्यात् || प्रथम कांडक में स्व विषय गत द्रव्य की आव/असंख्यात् मात्र वर्तमान पर्यायें। तत्पश्चात् द्वितीयादि में सर्वत्र पूर्व पूर्व x असंख्यात्
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| | 3||305 || प्रथम कांडक में विस्रसोपचय सहित निज औदारिक शरीर\घनलोक प्रमाण असंख्यात् द्रव्य है। तत्पश्चात् द्वितीयादि में सर्वत्र पूर्व पूर्व द्रव्य + (पूर्व द्रव्य+मनोवर्गणा/अनंत)|| घनांगुल || किंचिदून आवली (50) || प्रथम कांडक में स्व विषय गत द्रव्य की आव/असंख्यात् मात्र वर्तमान पर्यायें। तत्पश्चात् द्वितीयादि में सर्वत्र पूर्व पूर्व x असंख्यात्
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| | 4|| 305 || प्रथम कांडक में विस्रसोपचय सहित निज औदारिक शरीर\घनलोक प्रमाण असंख्यात् द्रव्य है। तत्पश्चात् द्वितीयादि में सर्वत्र पूर्व पूर्व द्रव्य + (पूर्व द्रव्य+मनोवर्गणा/अनंत)|| घनांगुल पृथकत्व || आवली|| प्रथम कांडक में स्व विषय गत द्रव्य की आव/असंख्यात् मात्र वर्तमान पर्यायें। तत्पश्चात् द्वितीयादि में सर्वत्र पूर्व पूर्व x असंख्यात्
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| | 5|| 306 || प्रथम कांडक में विस्रसोपचय सहित निज औदारिक शरीर\घनलोक प्रमाण असंख्यात् द्रव्य है। तत्पश्चात् द्वितीयादि में सर्वत्र पूर्व पूर्व द्रव्य + (पूर्व द्रव्य+मनोवर्गणा/अनंत)|| 1 घन हाथ || आवली पृथक्त्व || प्रथम कांडक में स्व विषय गत द्रव्य की आव/असंख्यात् मात्र वर्तमान पर्यायें। तत्पश्चात् द्वितीयादि में सर्वत्र पूर्व पूर्व x असंख्यात्
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| | 6|| 306 || प्रथम कांडक में विस्रसोपचय सहित निज औदारिक शरीर\घनलोक प्रमाण असंख्यात् द्रव्य है। तत्पश्चात् द्वितीयादि में सर्वत्र पूर्व पूर्व द्रव्य + (पूर्व द्रव्य+मनोवर्गणा/अनंत)|| 1 घन कोस || अंतर्मुहूर्त || प्रथम कांडक में स्व विषय गत द्रव्य की आव/असंख्यात् मात्र वर्तमान पर्यायें। तत्पश्चात् द्वितीयादि में सर्वत्र पूर्व पूर्व x असंख्यात्
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| | 7|| 306 || प्रथम कांडक में विस्रसोपचय सहित निज औदारिक शरीर\घनलोक प्रमाण असंख्यात् द्रव्य है। तत्पश्चात् द्वितीयादि में सर्वत्र पूर्व पूर्व द्रव्य + (पूर्व द्रव्य+मनोवर्गणा/अनंत)|| 1 घन योजन || 1 भिन्न मुहूर्त (मुहूर्त-1 समय) || पप्रथम कांडक में स्व विषय गत द्रव्य की आव/असंख्यात् मात्र वर्तमान पर्यायें। तत्पश्चात् द्वितीयादि में सर्वत्र पूर्व पूर्व x असंख्यात्
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| |8|| 306 || प्रथम कांडक में विस्रसोपचय सहित निज औदारिक शरीर\घनलोक प्रमाण असंख्यात् द्रव्य है। तत्पश्चात् द्वितीयादि में सर्वत्र पूर्व पूर्व द्रव्य + (पूर्व द्रव्य+मनोवर्गणा/अनंत)|| 25 घन योजन || किंचिदून 1 दिवस || प्रथम कांडक में स्व विषय गत द्रव्य की आव/असंख्यात् मात्र वर्तमान पर्यायें। तत्पश्चात् द्वितीयादि में सर्वत्र पूर्व पूर्व x असंख्यात्
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| | 9|| 307 || प्रथम कांडक में विस्रसोपचय सहित निज औदारिक शरीर\घनलोक प्रमाण असंख्यात् द्रव्य है। तत्पश्चात् द्वितीयादि में सर्वत्र पूर्व पूर्व द्रव्य + (पूर्व द्रव्य+मनोवर्गणा/अनंत)|| भरत क्षेत्र प्रमाण (529 6/19 घन योजन)|| अर्द्ध मास || प्रथम कांडक में स्व विषय गत द्रव्य की आव/असंख्यात् मात्र वर्तमान पर्यायें। तत्पश्चात् द्वितीयादि में सर्वत्र पूर्व पूर्व x असंख्यात्
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| | 10|| 307 || प्रथम कांडक में विस्रसोपचय सहित निज औदारिक शरीर\घनलोक प्रमाण असंख्यात् द्रव्य है। तत्पश्चात् द्वितीयादि में सर्वत्र पूर्व पूर्व द्रव्य + (पूर्व द्रव्य+मनोवर्गणा/अनंत)|| जंबूद्वीप प्रमाण 100,000 घन योजन || साधिक 1 मास || प्रथम कांडक में स्व विषय गत द्रव्य की आव/असंख्यात् मात्र वर्तमान पर्यायें। तत्पश्चात् द्वितीयादि में सर्वत्र पूर्व पूर्व x असंख्यात्
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| |11|| 307|| प्रथम कांडक में विस्रसोपचय सहित निज औदारिक शरीर\घनलोक प्रमाण असंख्यात् द्रव्य है। तत्पश्चात् द्वितीयादि में सर्वत्र पूर्व पूर्व द्रव्य + (पूर्व द्रव्य+मनोवर्गणा/अनंत)|| मनुष्यलोक प्रमाण 4500,000 घन योजन || 1 वर्ष || प्रथम कांडक में स्व विषय गत द्रव्य की आव/असंख्यात् मात्र वर्तमान पर्यायें। तत्पश्चात् द्वितीयादि में सर्वत्र पूर्व पूर्व x असंख्यात्
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| | 12|| 307 || प्रथम कांडक में विस्रसोपचय सहित निज औदारिक शरीर\घनलोक प्रमाण असंख्यात् द्रव्य है। तत्पश्चात् द्वितीयादि में सर्वत्र पूर्व पूर्व द्रव्य + (पूर्व द्रव्य+मनोवर्गणा/अनंत)|| रुचकवर द्वीप तक || वर्ष पृथक्त्व || प्रथम कांडक में स्व विषय गत द्रव्य की आव/असंख्यात् मात्र वर्तमान पर्यायें। तत्पश्चात् द्वितीयादि में सर्वत्र पूर्व पूर्व x असंख्यात्
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| | 13|| 308 || प्रथम कांडक में विस्रसोपचय सहित निज औदारिक शरीर\घनलोक प्रमाण असंख्यात् द्रव्य है। तत्पश्चात् द्वितीयादि में सर्वत्र पूर्व पूर्व द्रव्य + (पूर्व द्रव्य+मनोवर्गणा/अनंत)|| असंख्य द्वीप सागर || संख्यात वर्ष || प्रथम कांडक में स्व विषय गत द्रव्य की आव/असंख्यात् मात्र वर्तमान पर्यायें। तत्पश्चात् द्वितीयादि में सर्वत्र पूर्व पूर्व x असंख्यात्
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| |14|| 310 || तैजस शरीर पिंड || पूर्व-पूर्व से असंख्यात गुणा || असंख्यात वर्ष || प्रथम कांडक में स्व विषय गत द्रव्य की आव/असंख्यात् मात्र वर्तमान पर्यायें। तत्पश्चात् द्वितीयादि में सर्वत्र पूर्व पूर्व x असंख्यात्
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| |15|| 310 || कार्माण शरीर पिंड|| पूर्व-पूर्व से असंख्यात गुणा || पूर्व पूर्वसे असंख्यात गुणा || प्रथम कांडक में स्व विषय गत द्रव्य की आव/असंख्यात् मात्र वर्तमान पर्यायें। तत्पश्चात् द्वितीयादि में सर्वत्र पूर्व पूर्व x असंख्यात्
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| |16|| 311 || विस्रसोपचय रहित एक तैजसवर्गणा|| पूर्व-पूर्व से असंख्यात गुणा || पूर्व पूर्व से असंख्यात गुणा|| प्रथम कांडक में स्व विषय गत द्रव्य की आव/असंख्यात् मात्र वर्तमान पर्यायें। तत्पश्चात् द्वितीयादि में सर्वत्र पूर्व पूर्व x असंख्यात्
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| |17|| 312 || एक भाषा वर्गणा|| पूर्व-पूर्व से असंख्यात गुणा || पूर्व-पूर्व से असंख्यात गुणा || प्रथम कांडक में स्व विषय गत द्रव्य की आव/असंख्यात् मात्र वर्तमान पर्यायें। तत्पश्चात् द्वितीयादि में सर्वत्र पूर्व पूर्व x असंख्यात्
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| |18|| 313 || एक मनोवर्गणा|| पूर्व-पूर्व से असंख्यात गुणा || पूर्व-पूर्व से असंख्यात गुणा || प्रथम कांडक में स्व विषय गत द्रव्य की आव/असंख्यात् मात्र वर्तमान पर्यायें। तत्पश्चात् द्वितीयादि में सर्वत्र पूर्व पूर्व x असंख्यात्
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| |19|| 313 || एक कार्मण वर्गणा|| पूर्व-पूर्व से असंख्यात गुणा || पूर्व-पूर्व से असंख्यात गुणा || प्रथम कांडक में स्व विषय गत द्रव्य की आव/असंख्यात् मात्र वर्तमान पर्यायें। तत्पश्चात् द्वितीयादि में सर्वत्र पूर्व पूर्व x असंख्यात्
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= अयोगि विषैं सत्त्वरूप वही पिच्यासी प्रकृति (पाँच शरीर (5), पाँच बंधन (5), पाँच संघात (5), छः संस्थान (6), तीन अंगोपांग (3), छः संहनन (6), पाँच वर्ण (5),दोय गंध (2), पाँच रस (5), आठ स्पर्श (8), स्थिर-अस्थिर (2), शुभ-अशुभ (2), सुस्वर-दुःस्वर (2), देवगति व आनुपूर्वी (2), प्रशस्त व अप्रशस्त विहायोगति (2) दुर्भग (1), निर्माण (1), अयशःकीर्ति (1), अनादेय (1), प्रत्येक (1), अपर्याप्त (1), अगुरुलघु (1), उपघात(1), परघात (1), उच्छ्वास (1), अनुदयरूप अन्यतम वेदनीय (1), नीच गोत्र (1)-ये 72 प्रकृति की तौ अयोगि के द्वि-चरम समय सत्त्व से व्युच्छित्ति होती है बहुरि जिनका उदय अयोगि विषैं पाइये ऐसे उदयरूप अन्यतम वेदनीय (1), मनुष्यगति (1), पंचेंद्रिय (1), सुभग (1), त्रस (1), बादर (1), पर्याप्त (1), आदेय (1),यशःकीर्ति (1), तीर्थंकरत्व (1), मनुष्यायु व आनुपूर्वी (2), उच्च गोत्र (1)-इन तेरह प्रकृतियों की अयोगि के अंत समय सत्त्व से व्युच्छित्ति होती है। सर्व मिलि 85 भई।)